विश्व पृथ्वी दिवस पर संगोष्ठी का हुआ आयेाजन

प्रदूषण को कम करने के लिए हमें अपनी डेली रूटीन में बदलाव लाने की जरूरत – प्रो. तेजबार सिंह

उदयपुर 23 अप्रेल / विश्व पृथ्वी दिवस पर राजस्थान विद्यापीठ के संघटक माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय के अन्तर्गत संचालित भूगोल विभाग की ओर से एक दिवसीय  संगोष्ठी का शुभारंभ दिल्ली विवि के प्रो. तेजबार सिंह राणा,  जेएनयू विवि जोधपुर के प्रो. जयसिंह राठौड, डाॅ. ललित सिंह झाला, प्रो. मलय पानेरी, डाॅ. हेमेन्द्र चैधरी, डाॅ. धमेन्द्र राजोरा, डाॅ. अनिता राठौड, डाॅ. युवराज सिंह राठौड़ ने माॅ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्जवलित कर किया।
मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. तेजबार सिंह राणा ने कहा कि ब्रह्मांड में पृथ्वी एक ऐसा ग्रह है जिसमें जीवन है, जीवन को बचाना है तो पहले पृथ्वी को बचाना होगा। भारत में वसुधा को पूजने की परंपरा रही है। उपनिषदों में पृथ्वी को वसुधा कहा गया है। विभिन्न प्राकृतिक तत्वों  से बनी वसुधा यानी पृथ्वी आज मानवीय भूलों की वजह से बड़े संकट से जूझ रही है। पृथ्वी का नाम आते ही इसकी व्यापकता पर भी गौर करने की जरूरत है, जिसमें जल, हरियाली, वन्य प्राणी प्रदूषण और इससे जुड़े अन्य तत्व शामिल हैं। धरती को बचाने के लिए इन सभी चीजों का संरक्षण करना बेहद जरूरी है। कहीं ना कहीं हमने ही आधुनिकता व शहरीकरण की रेस में पृथ्वी के संरक्षण की अनदेखी की है। कोरोना महामारी के दौरान हुए लॉकडाउन के बाद पर्यावरण में काफी बदलाव आया था। प्रदूषण का स्तर भी कम हो गया था, मगर इसके कुछ ही महीनों बाद हम लोग पर्यावरण संरक्षण को भूलते हुए पर्यावरण की चिंता किए बगैर अपने-अपने कामों में वापस जुट गए। मौजूदा स्थिति हमें सचेत करती है कि प्रदूषण को कम करने के लिए हमें अपने डेली रूटीन में बदलाव लाने की जरूरत है। एक पेड़ हर दिन लगभग 230 लीटर ऑक्सीजन देता है जो कई लोगों की जिंदगी बचाती है। वृक्ष कार्बनडाई ऑक्साइड़ को ऑक्सीजन में बदलते हैं। एक वृक्ष प्रतिवर्ष 12 टन कार्बनडाई ऑक्साइड को अवशोषित कर 0.4 टन ऑक्सीजन देता है।
प्रारंभ में विभागाध्यक्ष डाॅ. युवराज सिंह राठौड़ ने अतिथियों का स्वागत करते हुए एक दिवसीय संगोष्ठी की जानकारी दी।

By Udaipurviews

Related Posts

error: Content is protected !!