संस्कृतभारती के संस्कृत भाषा बोधन आवासीय वर्ग का हुआ शुभारंभ
सर्वोत्तम जीवंत और संस्कारित भाषा है संस्कृत – श्रीकांत
उदयपुर। भारत में संस्कृत थी इसलिए संस्कारहीन नहीं हुआ भारत। सभी भाषाओं की जननी है संस्कृत तथा संस्कृत लोक भाषा है इसका उदाहरण देते हुए बताया कि हनुमान जी ने भी सीता माता जी से भी संस्कृत में बात की संस्कृत भाषा सीखने के साथ सिखाने की भी परम आवश्यकता है ,संस्कृत के बिना देश का अस्तित्व दिशाहीन है।संस्कृत पाठी में संस्कारों का समावेश स्वत: ही होता है, उक्त विचार संस्कृत भारती उदयपुर विभाग द्वारा रेती स्टैंड किसान भवन में आयोजित सप्त दिवसीय आवासीय संस्कृत भाषा बोधन वर्ग के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय बौद्धिक प्रमुख श्रीकांत बोल रहे थे। उन्होंने कहा की संस्कृत श्लोक के नियमित पाठ से विभिन्न रोगों का निदान हो जाता है ।संस्कृत के साथ जीना और रहना भाभा सदैव गीता का अध्ययन करते थे सभी महान वैज्ञानिक सभी संस्कृत भाषा का अध्ययन करते हैं , सभी विद्वान संत महापुरुष भारत में ही हुए । दुनिया के लोग भारत में आकर संस्कृत सीखकर अपने देश का उद्धार कर रहे है और हमारे देश में मूल शक्ति का ह्रास होना माहिती विडंबना है।
वर्ग पालक डॉ यज्ञ आमेटा ने बताया कि इस अवसर पर अतिथि के रूप में उद्योग जगत के समाज सेवी राजकुमार चित्तौड़ा, श्री अशोक जी जैन तथा पूर्व संस्कृत संभागीय शिक्षा अधिकारी डॉ भगवती शंकर व्यास ने भी विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सांसद उदयपुर डॉ मन्नालाल रावत ने संस्कृत भाषा को देव भाषा बताते हुए कहा कि हमारे सभी कर्मों में संस्कृत का समावेश स्वतही निश्चित है संस्कृत के ग का अध्ययन व्यक्ति को निश्चित रूप से संस्कृत परिष्कृत और देव तुल्य बनाता है तथा उन्होंने ऐसे आयोजन की प्रशंसा करते हुए सभी शिक्षार्थियों से संस्कृत सीखने को सौभाग्य बताया और अपने आसपास भी इस भाषा का प्रचार प्रसार करते हुए संस्कृत को जान भाषा बनाने का आवाहन किया।
अध्यक्ष उद्बोधन में राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो कर्नल शिव सिंह सारंग देवोत ने योग: कर्मसु कौशलम् की संकल्पना को सार्थक करने में संस्कृत की महत्वपूर्ण भूमिका बताइ। उन्होंने कहा कि संस्कृत संस्कारों की संस्कृति एवं विभिन्न आदर्श की मूल भाषा है , उन्होंने कहा की अखंड भारत के पूर्णता को सिद्ध करने की एकमात्र शक्ति है संस्कृत, संस्कृत वर्ण माला में प्रत्येक वर्ण के स्तंभ ऋषि है ।एकमात्र भाषा संस्कृत है जो वेदों के समर्थित हो पूर्णता सिद्ध कर सकती है , उन्होंने गुरुकुल परंपरा की प्रशंसा करते हुए संस्कृति व संस्कारों की आधार स्तंभ संस्कृत भाषा को बढ़ाना अनिवार्य है और सभी शिक्षकों को संस्कार शास्त्र और पुरुषार्थ का ज्ञान प्रदान कर आदर्श की दिशा में ले जाएं ।उन्होंने संस्कृत में आदर्श विनम्र के साथ निराशा से आशा , दर्शन को दृष्टि से देखने और सर्वे भवन्तु सुखिन: की संकल्पना वास्तविक महीने में पूर्ण समर्थ है पूर्ण सामर्थ्य है।
संचालन पूर्ण रूप से संस्कृत भाषा के माध्यम से शिक्षण प्रमुख मानाराम ने किया तथा अतिथि परिचय एवं स्वागत प्रांत संपर्क प्रमुख यज्ञ आमेटा ने कराया। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा भारत माता के समक्ष दीप प्रज्वलन माल्यार्पण कर वेद मंत्र उच्चारण के साथ किया गया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से वर्ग संयोजक दुष्यंत नागदा सहसंयोजक नरेंद्र शर्मा , डॉ यज्ञ आमेटा, अध्यक्ष संजय शांडिल्य, डॉ हिमांशु भट्ट , डॉ रेनू पालीवाल , रेखा सिसोदिया, भूपेंद्र शर्मा , चैन शंकर दशोरा, मंगल जैन , कुलदीप जोशी आदि उपस्थित रहे।