-मां बगलामुखी आराधना के 54 कुण्डीय यज्ञ में शामिल हुई राष्ट्रदेव आराधना
उदयपुर, 19 अक्टूबर। विश्व शांति, भारतवर्ष की सुरक्षा, समृद्धि और सशक्त राष्ट्र की कामना के साथ नवरात्रि स्थापना से शुरू हुए विश्व के पहले 54 कुण्डीय मां बगलामुखी आराधना के महायज्ञ में गुरुवार को राष्ट्र कल्याण के लिए राष्ट्र सूक्त की आराधना की गई। महायज्ञ की आहुतियों के मध्य राष्ट्र सूक्त का वाचन किया गया और उपस्थित श्रद्धालुओं को राष्ट्रहित के प्रति कटिबद्ध रहने का संकल्प कराया गया।
मीडिया संयोजक मनोज जोशी ने बताया कि मढ़ी मन मुकुंद दिगम्बर खुशाल भारती महाराज के सान्निध्य में चल रहे दस दिवसीय 54 कुण्डीय महायज्ञ में कोलाचार्य माई बाबा के नेतृत्व में देश भर के डेढ़ सौ से अधिक आचार्य इस महानुष्ठान को पूर्ण करा रहे हैं। सस्वर मंत्रोच्चार के साथ मां बगलामुखी को प्रसन्न करने की आहुतियों के अर्पण के साथ महायज्ञ के पांचवें दिवस गुरुवार को विशेष रूप से राष्ट्र सूक्त का वाचन कर राष्ट्रदेव की आराधना की गई। गुजरात से आए आचार्य हर्ष भट्ट ने राष्ट्र सूक्त का सस्वर वाचन कर राष्ट्र के हित को सर्वोपरि रखने का संकल्प कराया। जोशी ने बताया कि भारतीय प्राचीन ग्रंथों में भारतवर्ष को राष्ट्रदेव के रूप में भी माना गया है।
स्थानीय आचार्य रजनीकांत आमेटा, रुद्र देव त्रिपाठी, प्रियंक जोशी आदि आचार्यों के मंत्रोच्चार के बीच नियमित रूप से प्रातःकाल गणेश पूजन, कुलदेवी पूजन, वास्तु पूजन, योगिनी पूजन, भैरव पूजन, नवग्रह पूजन, महादेव पूजन हो रहा है। विभिन्न द्रव्यों से आहुतियों का क्रम जारी है। शास्त्र आधारित श्लोकों के विधिवत उच्चारण के साथ स्वाहा की स्वर गूंज रहा है और आहुतियों में अर्पित होते विभिन्न द्रव्यों से यज्ञकुण्ड की अग्नि का तेज बढ़ रहा है।
जोशी ने बताया कि गुरुवार को परिक्रमा करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। इनमें समाजसेवी शरद आचार्य, अलका मूंदड़ा, नरेश गोधा, भैरूलाल गर्ग, कालूलाल जैन आदि भी शामिल थे। सभी ने राष्ट्र सूक्त आराधना के बाद कहा कि राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए हो रहा यह अनुष्ठान अवश्य सफल होगा और भारत के प्रत्यक्ष व परोक्ष शत्रुओं का शमन व दमन होगा।
सनातनी चातुर्मास – राष्ट्र कल्याण के लिए महायज्ञ में राष्ट्र सूक्त आराधना
