उदयपुर ,1 जून, उदयपुर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रामसर वेटलैंड सिटी का दर्जा प्राप्त किए हुए चार महीने हो चुके है लेकिन अभी भी उदयपुर के छोटे- बड़े तालाबों( वेटलैंड) का अधिकतम भराव तल के आधार पर सीमांकन नहीं किया जा सका हैं। रविवार को आयोजित झील प्रेमियों के संवाद में इस पर चिंता व्यक्त की गई।
संवाद में डॉ अनिल मेहता ने कहा कि वेटलैंड सिद्धांतों व नियमों के आधार पर झीलों की मूल सीमाओं का सीमांकन कर , उस सीमा के आधार पर जोन ऑफ इंफ्लूएंस का निर्धारण करना सम्बन्धित एजेंसियों की जिम्मेदारी हैं । एन जी टी न्यायालय में कुछ माह पूर्व हुई सुनवाई में प्रशासन ने आश्वत किया था कि यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी, लेकिन अभी तक जोन ऑफ इंफ्लूएंस का निर्धारण नहीं किया गया है। इस निर्धारण के अभाव में झीलों को नुकसान पहुंचाने वाले कई निर्माण अनुमत हो रहे हैं।
तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि बड़ी, पिछोला, फतेहसागर, उदयसागर इत्यादि महत्वपूर्ण झीलों की मूल सीमाओं को घटाकर सरकारी एजेंसियों ने झीलों के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर दिया है। सीमांकन अधिकतम भराव तल ,एम डब्लू एल पर होना चाहिए।
नंदकिशोर शर्मा ने कहा कि सही सीमांकन के अभाव में उदयपुर के छोटे तालाबों में भी कॉलोनियों का निर्माण हो गया हैं । यह उदयपुर के जल स्थायित्व के लिए गंभीर खतरा है।
द्रुपद सिंह सहित उपस्थित अन्य नागरिकों ने कहा कि वेटलैंड सिटी में वेटलैंड की उपेक्षा उदयपुर के सामाजिक, पर्यावरणीय तथा आर्थिक भविष्य पर गहरे दुष्प्रभाव लाएगी।
संवाद से पूर्व पिछोला झील पर श्रमदान कर प्लास्टिक, पॉलीथिन सहित अन्य घरेलू , व्यावसायिक कचरे को हटाया गया।