उदयपुर। देव झुलनी एकादशी पर छोगाला छैल के जयकारों के साथ बेवाण (राम रेवाड़ी) निकाले गए। भक्तों ने ठाकुरजी के जयकारे लगाते हुए खूब गुलाल-अबीर उड़ाई व रास्ते भर आज के आनंद की जय, सांवरिया सेठ की जय, गोविन्द बोलो, हरि गोपाल बोलो, हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैयालाल की के जैकारों के साथ ठाकुरजी के बेवाण निकाले गए. पूरे मार्ग में घरों से लोग सड़कों पर आ गए और ठाकुरजी के दर्शन कर फल, दक्षिणा आदि भेंट किये। शोभायात्राओं में विभिन्न व्यायामशालाओं के पहलवानों ने करतब दिखाए. सभी शोभायात्रायें पीछोला के गणगौर घाट पहुँची जहाँ भगवान सालिगराम जी के विग्रह को पीछोला के नए जल से स्नान करा कर आरती की गयी. फिर बेवाणों को वापस उसी ठाठ-बाट से वापस मंदिर लाया गया।


मान्यता हे की इस दिन व्रत करने से रोग- दोष आदि से मुक्ति मिलती है। यह एकादशी करने से जीवन में धन-धान्य व मान-प्रतिष्ठा में समृद्धि होती है। जलझूलनी एकादशी के दिन व्रत व दान-पुण्य करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है।