पुलिस इतिहास पर प्रोफेसर नौटियाल की पुस्तक ‘पुलिस इतिहास के वातायन से’ का आरपीए में हुआ विमोचन

जयपुर, 04 जून। राजस्थान पुलिस अकादमी में बुधवार को एक महत्वपूर्ण साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां प्रोफेसर विकास नौटियाल द्वारा रचित पुलिस के इतिहास संबंधी पुस्तक “पुलिस इतिहास के वातायन से” का विधिवत विमोचन सम्पन्न हुआ। इस मौके पर पूर्व महानिदेशक बीएसएफ एमएल कुमावत, आरपीए निदेशक एस. सेंगाथिर, पूर्व आईपीएस हरिराम मीणा और प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. कमल नयन जैसे गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे, जिन्होंने पुस्तक का विमोचन किया।
पुलिस और अकादमिक जगत के बीच सेतु
लेखक प्रोफेसर विकास नौटियाल ने अपनी कृति के बारे में बताते हुए कहा कि यह पुस्तक भारत में पुलिस के इतिहास का गहन विवेचन करती है, जिसमें विशेष रूप से राजस्थान के संदर्भ को उजागर किया गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से उनका प्रयास पुलिस और अकादमिक जगत के बीच एक मजबूत सेतु का निर्माण करना है।
प्रोफेसर नौटियाल ने बताया कि अब तक पुलिस के इतिहास पर लिखी गई अधिकांश पुस्तकें संगठनात्मक उद्देश्यों को ध्यान में रखकर लिखी गई हैं, लेकिन “पुलिस इतिहास के वातायन से” का लेखन विशुद्ध रूप से अकादमिक दृष्टिकोण से किया गया है, जो इसे अन्य पुस्तकों से अलग करता है।
अकादमिक दृष्टि से राजस्थान में पुलिस का पहला इतिहास
प्रोफेसर नौटियाल ने बताया कि उनकी यह पुस्तक समाज के विविध पहलुओं के संबंध में पुलिसिंग का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है। उन्होंने दावा किया कि यह संभवतः अकादमिक दृष्टि से राजस्थान में पुलिस पर लिखा गया पहला विस्तृत इतिहास है। पुस्तक का सबसे महत्वपूर्ण और विश्वसनीय पहलू यह है कि इसमें अभिलेखागारों से प्राप्त प्राथमिक स्रोतों का व्यापक रूप से उपयोग किया गया है। इन प्राथमिक स्रोतों के समावेश से पुस्तक न केवल रोचक बन गई है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक विश्वसनीयता भी बढ़ गई है।
श्री कुमावत ने बताया ‘उत्कृष्ट’ पुस्तक
विमोचन समारोह के मुख्य अतिथि, पूर्व महानिदेशक बीएसएफ श्री एमएल कुमावत ने अपने संबोधन में पुस्तक की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि पुलिस जैसे महत्वपूर्ण विषय पर विस्तृत रूप से रिसर्च किए जाने की आवश्यकता है, और प्रोफेसर नौटियाल की यह कृति इसी दिशा में एक मील का पत्थर है। श्री कुमावत ने “पुलिस इतिहास के वातायन से” को पुलिस विषय पर अब तक की उत्कृष्ट पुस्तक करार दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस के कार्य और इतिहास को समझने के लिए इस पुस्तक को हर किसी को पढ़ना चाहिए। यह पुस्तक पुलिसिंग के विभिन्न जटिल पहलुओं को एक नए और अकादमिक नजरिए से प्रस्तुत करती है, जिससे आम जनता और शोधार्थियों दोनों को लाभ होगा।
यह पुस्तक पुलिस इतिहास के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण योगदान देगी और पुलिस तथा अकादमिक समुदायों के बीच संवाद तथा शोध को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होगी।

By Udaipurviews

Related Posts

error: Content is protected !!