कैम्ब्रिज इंडिया रिसर्च फाउंडेशन और विद्या भवन का संयुक्त आयोजन
व्हाट मेकस अस ह्यूमन थीम पर होगा विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिकों का उद्बोधन
मानव भ्रूण, कोशिकाओं तथा तंत्रिका तंत्र पर कैंब्रिज विश्वविद्यालय में हुई महत्वपूर्ण खोजों से कराएंगे अवगत
कैंसर, स्नायु रोगों तथा उम्र जनित बीमारियों को समझने व सटीक उपचार के लिए विशिष्ठ है यह शोध
उदयपुर। मानव भ्रूण, कोशिकाओं तथा तंत्रिका तंत्र पर कैंब्रिज विश्वविद्यालय में हुए महत्वपूर्ण शोधों से कैंसर, स्नायु रोगों तथा उम्र जनित बीमारियों को समझने व सटीक उपचार प्राप्त करने में सहायता मिल रही है। मानव भ्रूण के नई दृष्टि से अध्ययन सहित स्टेम सेल, कोशिकीय रिप्रोग्रामिंग, मानव भ्रूण मॉडलिंग, 3 डी आर्गन कल्चर, आईवीएफ पर कैंब्रिज में शोध एवं नवीन खोज कर रहे विश्व के दो प्रमुख वैज्ञानिक डॉ ऐना फिलपोट तथा डॉ बेंजामिन साइमंस रविवार को विद्या भवन ऑडिटोरियम में अपने अनुभवों व शोध परिणामों को साझा करेंगे।
विद्या भवन के अध्यक्ष डॉ जे के तायलिया तथा मुख्य संचालक राजेंद्र भट्ट ने बताया कि प्रोफ़ेसर फिलपोट कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की प्रो-वाइस चांसलर एवं कैम्ब्रिज स्टेम सेल संस्थान की प्रमुख वैज्ञानिक है। वे विकासात्मक जीव विज्ञान, डेवलपमेंटल बायोलॉजी की प्रोफ़ेसर हैं। उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन पश्चात हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से दो पोस्ट-डॉक्टरल फ़ेलोशिप पूरी की। उन्होंने 1998 में कैम्ब्रिज के कैंसर विभाग में स्टेम सेल पर नवीन प्रयोगशाला शुरू की। वे यूरोपीय मॉलिक्यूलर बायोलॉजी ऑर्गेनाइजेशन तथा एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज की प्रमुख सदस्य है।
विकासात्मक जीवविज्ञानी फिलपोट के शोध अध्ययन इस विषय पर है कि मानव भ्रूण की कोशिकाएँ कैसे तय करती हैं कि उन्हें भविष्य में क्या बनना है? कैंसर कोशिकाओं के निर्मित होने के मूल कारण क्या है? कैंसर कोशिकाओं के असामान्य व्यवहार को बदलने के लिए क्या विधियां है?
कैम्ब्रिज स्टेम सेल इंस्टीट्यूट की प्रयोगशाला में वे ज़ेनोपस मेंढक के अंडों और भ्रूणों पर प्रयोग कर रही है कि भ्रूण जनन के दौरान कोशिकाओं के भविष्य और विभेदन को नियंत्रित करने वाली मूलभूत प्रक्रियाएं क्या है?
प्रोफ़ेसर बेंजामिन डी. साइमंस कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में गुरडन संस्थान के निदेशक हैं। उनका मूल अध्ययन भौतिकी व गणित है। जिनका प्रयोग वे जीव विज्ञान में कर रहे है। कैम्ब्रिज से सैद्धांतिक भौतिकी में पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने के बाद, उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में पोस्ट-डॉक्टरल प्रशिक्षण लिया। वे भौतिकी में हर्शल स्मिथ पीठ के अध्यक्ष हैं। वे एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज और रॉयल सोसाइटी के फेलो हैं। प्रो बेंजामिन गणित और कंप्यूटर तकनीकों का प्रयोग कर मानव ऊतकों पर महत्वपूर्ण शोध कर रहे है।
डॉ तायलिया तथा भट्ट ने बताया कि दोनों वैज्ञानिकों का ” व्हाट मेकस अस ह्यूमन” विषय पर उद्बोधन देवाली स्थित विद्या भवन ऑडिटोरियम में रविवार को सांय साढ़े चार बजे होगा। इसमें वैज्ञानिक, चिकित्सक, शोध विद्यार्थी सहित मानव जीवन विकास में रुचि रखने वाले जिज्ञासु नागरिक उपस्थित रहेंगे।
शनिवार को आयोजित प्रेस वार्ता में उपरोक्त जानकारी देते हुए डॉ तायलिया तथा भट्ट ने विद्या भवन के इतिहास व वर्तमान नवाचारों पर भी जानकारी दी।
आजादी पूर्व, वर्ष 1931 में स्थापित, समृद्ध इतिहास, परम्पराओं व उपलब्धियों से पूर्ण, विद्या भवन कुछ वर्ष पश्चात 100 वर्ष का हो जाएगा। शताब्दी की ओर अग्रसर विद्या भवन अपने मूल्यों व सिद्धान्तों पर कायम रहते हुए समयानुकूल व आवश्यकतानुसार नवाचार, नवनिर्माण तथा नवीनीकरण कर रहा है। समाज, देश व दुनियाँ को स्वावलंबी, समरस, समावेशी और सामर्थ्यवान बनाने के लिए विद्या भवन प्रतिबद्ध है।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू, प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद से लेकर श्री अटल बिहारी वाजपेयी, डॉ मनमोहन सिंह, श्रीमति प्रतिभा पाटिल के चरणों ने इस महान संस्था को अपनी ऊर्जा व प्रेरणा प्रदान की है, वह महान संस्था अपनी स्थापना के 94 वर्ष पूर्ण कर चुकी है। श्री जाकिर हुसैन, श्री जय प्रकाश नारायण जैसी अनेक विभूतियों ने यहां के शिक्षकों, विद्यार्थियों से संवाद कर प्रेरणा दी है। यंहा की शिक्षिका सरला बेन (मूल नाम मेरी कैथरीन हाईलमन) राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रमुख सहयोगी थी।
विद्या भवन की संस्थाओं में पढ़े प्रेरणादायी विद्यार्थियों व यहां के शिक्षकों ने समाज जगत, राजनीति, प्रशासन, उद्योग जगत, शिक्षा, विज्ञान, तकनीकी, न्यायपालिका, कला व साहित्य हर क्षेत्र में समाज को नई दिशा दी है। संस्था में पढ़े श्री गुलाब चंद कटारिया (राज्यपाल), श्रीमती बीना काक (पूर्व मंत्री), श्री जगत मेहता, श्री जे.एन. दीक्षित (विदेश सचिव), श्री डी.एस. कोठारी, श्री गोवेर्धन मेहता (प्रसिद्ध वैज्ञानिक), श्री सलिल सिंघल, श्री अरविंद सिंघल (प्रसिद्ध उद्योग पति), श्री गोविंद माथुर (पूर्व मुख्य न्यायाधीश, हाइकोर्ट), ऐसी अनेक विभूतियां विद्या भवन की उपलब्धियां है।
यहां के हेड मास्टर व अध्यक्ष श्री कालू लाल श्रीमाली जहां भारत के शिक्षा मंत्री रहे वंही पॉलिटेक्निक के प्राचार्य श्री वासुदेव देवनानी (विधानसभा अध्यक्ष) राजस्थान के शिक्षा मंत्री रहे है।
विद्या भवन की स्थापना की पृष्ठभूमि में पद्मविभूषण डॉ मोहन सिंह मेहता एवं उनके साथी रहे है। वर्ष 1926 में यूरोप में एक ट्रेन का इंतजार कर रहे वेटिंग रूम में बैठे डॉ मोहन सिंह मेहता “भाईसाहब“ को एक ऐसे शिक्षण संस्थान का विचार आया था जो प्रगतिशील हो एवं ऐसे जागरुक नागरिक तैयार कर सके जो चरित्रवान, स्वावलम्बी, शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक रूप से मजबूत, लोकतान्त्रिक एवं समाज व् पर्यावरण के प्रति संवेदन शील हो तथा आजादी के पश्चात देश के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हो।
उनका यह विचार वर्ष 1931 में विद्या भवन के रूप में परिणित हुआ। डॉ मेहता व उनके साथियों डॉ के एल श्रीमाली, श्री सादिक अली, श्री फतेह्लाल वर्डिया, श्री केसरी लाल बोर्दिया ने इस संस्थान की स्थपाना की। महात्मा गाँधी, रविन्द्र नाथ टैगोर व स्काउट आन्दोलन से प्रभावित ये सभी महान व्यक्तित्व इस विश्वास से प्रेरित थे कि जब भी आज़ादी हासिल होगी, भारत को ऐसे शिक्षित और प्रेरित नागरिकों की आवश्यकता पड़ेगी जो लोकतन्त्र को स्थापित करने और उसे बनाए रखने का दृढ़ निश्चय रखते हो व समाज में प्रत्यक्ष जाकर कार्य कर सकने वाले हो। अपने स्थापित लक्ष्यों और उद्देश्यों की पूर्ति के लिये विद्या भवन ने समय और आवश्यकता के अनुरूप समय-समय पर विभिन्न संस्थाओं की स्थापना की।
बीजारोपण 1931 में स्थापित विद्या भवन सीनियर सेकैण्डरी स्कूल से हुआ। उस काल में यह सह शिक्षा का स्कूल था। 1940 के दशक में विद्या भवन ने हस्तकला शिक्षक-प्रशिक्षण केन्द्र की शुरुआत की – शिक्षकों को बढ़ई, चर्मकार, बुनाई और सिलाई तथा रद्दी काग़ज़ से लुगदी बनाने में प्रशिक्षित किया जाता था। सरकारी विद्यालयों में उन दिनों इन शिक्षकों की ख़ूब माँग रहा करती थी। ग्रामीण किसानों और हस्त कलाकारों के बच्चों को शिक्षा और सहज तरीके से मिल पाए, इस हेतु ‘रामगिरि’ नामक तत्कालीन छोटे से गांव में ‘विद्या भवन बुनियादी स्कूल’ की स्थापना 1941 में की गई। अच्छे शिक्षक तैयार करने के लिए 1942 ने राजस्थान का पहला शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय स्थापित हुआ। ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा उन्नयन व विकास को बढ़ाने के लिए लिये 1956 में विद्या भवन रुरल इंस्टीट्यूट अस्तित्व में आया। इसी वर्ष रूरल एंड सेनिटेशन इंजिनीयरिंग के केंद्र के रूप में पोलीटेक्निक प्रारंभ हुआ। 1982 में आंगनवाड़ी आंगनवाडी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण कार्य प्रारंभ हुआ । वर्ष 1984 में कृषि विज्ञान केन्द्र बना, जिसने ग्रामीण अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधार कृषि को समुन्नत और विकसित करने का कार्य प्रारम्भ किया। 1995 में विद्या भवन शिक्षा संदर्भ केन्द्र स्थापित हुआ। 1997 में स्थानीय शासन और ज़िम्मेदार नागरिकता का संस्थान, 2001 में विद्या भवन पब्लिक सकूल, 2008 में विद्या भवन गांधीयन शैक्षिक अध्ययन संस्थान और 2009 में प्रकृति साधना केंद्र (400 एकड़ का जंगल) सामने आए। समय के साथ कुछ संस्थाओं को एक-दूसरे में समायोजित किया गया, कुछ बंद भी हुई । वर्तमान में विद्या भवन सोसायटी के तत्वावधान में 10 संस्थाएं क्रियाशील है।
एक स्कूल से शुरू हुए विद्या भवन में आज स्कूल, कॉलेज, शिक्षक प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षण संस्थान के अलावा कृषि विज्ञान केंद्र और शिक्षा सन्दर्भ केंद्र जैसी नवाचारी संस्थाएं शामिल हो इसे समग्र शिक्षण संस्थान का रूप देती हैं। पॉलिटेक्निक में स्थापित सरस्वती मेकेट्रॉनिक्स सेंटर राजस्थान का एक प्रमुख अत्याधुनिक तकनीकी केंद्र है।
अपने बहुआयामी कार्यों के द्वारा विद्या भवन ने समुदाय से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहुँच बनाई है। विद्या भवन का इतिहास उपलब्धियों से भरा पड़ा है। वर्तमान उपलब्धियों को गढ़ रहा है।
विद्या भवन के शिक्षा दर्शन, अनुभूत प्रयोगों की अहमियत व प्रासंगिकता शाश्वत रही है, इसका प्रतिबिम्ब भारत की नई शिक्षा नीति में स्पष्ट देखा जा सकता है। भूजल पुनर्भरण की मारवी योजना सहित जल संसाधन प्रबंधन, सेनिटेशन इत्यादि क्षेत्रों में विद्याभवन में हुए शोध देश की नीतियों को बनाने में सहयोगी सिद्ध हुए है।
यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स, कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी, सिडनी यूनिवर्सिटी, अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी जैसे विश्व स्तरीय संस्थान विद्या भवन के साथ जुड़े हैं। कई राज्यों ने अपनी पाठ्यपुस्तकों के निर्माण में विद्या भवन की सहायता ली है। अभिलाषा कार्यक्रम के माध्यम से वंचित वर्गों की ग्रामीण परिवेश की लड़कियों को कोडिंग का निशुल्क प्रशिक्षण मिल रहा है। शिक्षा सम्बल कार्यक्रम के माध्यम से राज्य के अनेकों सरकारी स्कूलों में विज्ञान, गणित और अंग्रेज़ी विषयों में विद्यार्थियों की मूलभूत समझ बढ़ाने के सफल प्रयास हो रहे है। अपना सपना, ऊंची उड़ान, स्कूल इंटीग्रेशन प्रोग्राम इत्यादि कार्यक्रमों के माध्यम से यंहा के विद्यार्थी आई आई टी सहित देश के श्रेष्ठ तकनीकी व मेडिकल संस्थानों में प्रवेश हेतु तथा सी ए, सी एस जैसी परीक्षाओं में सफलता किए तैयार हो रहे है। विद्या भवन तीरंदाजी व शतरंज में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार कर रहा है। वैज्ञानिक खेती, पशु बांझपन उपचार जैसे क्षेत्रों में विद्या भवन द्वारा हो रहे प्रयास पूरे भारत मे सराहे गए है।
विद्या भवन शिक्षा के माध्यम से समाज परिवर्तन व विकास के अपने लक्ष्य के साथ छह वर्षों बाद 100 वर्ष का हो जाएगा। उदयपुर सहित राजस्थान व भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।
विद्या भवन की नई गतिविधियां एवं परियोजनाएँ:
विद्या भवन आधुनिक सुविधाओंयुक्त नये नर्सरी स्कूल का निर्माण कर रहा है जो नई शिक्षा नीति के मापदण्डों के अनुरूप होगी। आगामी सत्र से यह प्रारम्भ हो जायेगी। विद्या भवन बेसिक स्कूल की नर्सरी कक्षाओं का किडजी के साथ कोलेबोरेशन में उन्नयन किया गया। इसके अलावा विद्या भवन के स्कूलों में 15 नये कक्षा-कक्षों का निर्माण भी पूर्ण हुआ है।
विद्या भवन के सभी स्कूलों में कक्षा 4 से 8 तक के विद्यार्थियों के लिए डे-बोर्डिंग कक्षाओं का संचालन प्रारंभ किया गया है। इस क्रार्यक्रम से विद्यार्थियों को फाईन आर्ट्स, खेल-कूद, आर्ट एवं क्राफ्ट, संगीत एवं भाषा सीखने में मदद मिल रही है। विद्या भवन के वेलनेस कार्यक्रम के तहत म्यूजिक, मेडीटेशन एवं हीलिंग सेन्टर प्रारंभ किया जा रहा है।
विद्या भवन का कृषि विज्ञान केन्द्र पशु बांझपन के उपचार के लिए विशेष प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। साथ ही देशी गौवंश संवर्धन के लिए ए-2 मिल्क का उत्पादन भी वहां प्रारम्भ किया जा रहा है।
खेल सुविधाओं का उन्नयन व विस्तार करते हुए फतहपुरा स्थित स्कूल मैदान में क्रिकेट, हॉकी, फुटबाल’ बास्केटबाल, बेडमिन्टन, टेबिल टेनिश, चेस, 400 मी. एथलेटिक ट्रेक, इत्यादि की उच्च स्तरीय सुविधाएँ बनाई जा रही हैं। भविष्य में स्वीमिंग पूल, शूटिंग रेंज, गोल्फ कोर्स, इत्यादि भी प्रस्तावित हैं।
विद्या भवन के महाविद्यालयों में विशेष कौशल निर्माण सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम प्रारंभ किये जा रहे है, जिनमें मुख्य रूप से साईबर सिक्युरिटी एवं डाटा सिक्युरिटी, हास्पीटेलिटी, फूड एवं बेवरेज, लेण्ड स्केपिंग एवं गार्डनिंग इत्यादि हैं।
विद्या भवन नवम्बर माह में पर्यावरण, जल एवं जलवायु परिवर्तन पर एक अन्तर्राष्ट्रीय सेमीनार कर रहा है, जिसमें राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के विषय-विशेषज्ञ भाग लेंगे। उदयपुर के पर्यावरण की सुदृढ़ता एवं शुद्धता के लिए विद्या भवन अपनी खाली भूमि पर फलदार वृक्षों का रोपण कर रहा है। प्रथम फेज में 7000 वृक्ष लगाने का कार्य प्रगति पर है।
