उदयपुर, 16 फरवरी। राजस्थान विद्यापीठ के संघटक महाविद्यालय, स्कूल ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भा.कृ.अनु.प.) – भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को कृषि विज्ञान मेले का भव्य आयोजन किया गया। मेले का शुभारंभ एम.पी.यू.टी. के कुलपति प्रो. अजीत कुमार कर्नाटक, दिल्ली विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. योगानंद शास्त्री, कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर, भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के निदेशक डॉ. रवि माथुर तथा कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, पूर्व कुलपति प्रो राजेश सिंह, विशिष्ट अतिथि के प्रसार निदेशक एम पी यू टी आर एल सोनी, इनकम टैक्स कमिश्नर के.के. सिंह, एडवाइजर इंद्रजीत माथुर ने किया।
इस अवसर पर कुलपति प्रो अजीत कुमार कर्नाटक को कृषि की उन्नति के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए प्रशस्ति पत्र का वाचन कर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया।
मुख्य अतिथि प्रो. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि राजस्थान की कृषि समृद्ध परंपरा से जुड़ी हुई है। यहां के किसान कभी भी भूखमरी या आत्महत्या की स्थिति में नहीं आते क्योंकि राज्य में उन्नत कृषि पद्धतियों के साथ-साथ पशुपालन की भी अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने किसानों की मेहनत और समर्पण को देश की उन्नति का आधार बताते हुए कहा कि वे राष्ट्र के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने किसानों की प्रगति के लिए किए जा रहे विभिन्न प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार द्वारा कृषक उन्नति योजना चलाई जा रही है, जिससे किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिल सके। उन्हें उन्नत तकनीकों के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जाता है तथा बीज, कीटनाशक, उर्वरक आदि की खरीद में सहायता प्रदान की जाती है। फसल खराब होने पर बीमा कवर दिया जाता है और उनके प्रशिक्षण व प्रदर्शन के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से उन्हें नई तकनीकों की जानकारी दी जाती है, वहीं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) जैसे कार्यक्रम कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने में सहायक हैं। कृषि नीति निर्माण में किसानों व अन्य हितधारकों से संवाद स्थापित किया जाता है तथा जलवायु परिवर्तन के अनुरूप विभिन्न मिशनों के माध्यम से कृषि क्षेत्र को मजबूती दी जाती है।
कुलाधिपति भंवर गुर्जर ने कहा कि किसानों की मेहनत और नवाचार से ही देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो पाती है और कृषि का निरंतर विकास संभव हो पाता है। उन्होंने कृषि भूमि के कम होने पर चिंता जताते हुए कहा कि शहरीकरण के बजाय गांवों में भी शहरों जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी तो वहां के युवा गांव में ही रहकर खेती को कॅरियर बनाने की ओर अग्रसर होंगे।
तकनीकी नवाचारों से अवगत हुए किसान
-कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंस के डीन प्रो. गजेन्द्र माथुर ने बताया कि मेले में 500 से अधिक किसान एवं विद्यार्थी शामिल हुए और नवीनतम कृषि तकनीकों से रूबरू हुए। मेले का मुख्य आकर्षण किसानों और वैज्ञानिकों के बीच संवाद, विश्वविद्यालय एवं कृषि आदान संस्थानों की तकनीकी प्रदर्शनी रही। इसके अतिरिक्त, कृषि महाविद्यालय की विभिन्न इकाइयों – फसल उद्यानिकी, नर्सरी, बीज इकाई, अनुसंधान खेत, कृषि संग्रहालय एवं फल प्रसंस्करण इकाई का भ्रमण भी करवाया गया।
मेले का संचालन डॉ. सोनिया जायसवानी एवं सौरव राठौड़ ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रो. नारायण सिंह सोलंकी ने दिया। इस अवसर पर डॉक्टर अरुण परिहार डॉ आनंद सिंह जोधा डॉ सुरभि आदि का भी प्रमुख योगदान रहा।
प्रतियोगिताओं का आयोजन एवं तिलहन फसलों पर विशेष जोर
-मेले में किसानों के लिए फसल, फल एवं सब्जी प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। इसके अलावा, महिलाओं के लिए विशेष रूप से रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। उदयपुर जिले के किसानों को तिलहन फसलों के उत्पादन एवं उनके आर्थिक महत्व की जानकारी दी गई। तिलहन फसलें नकदी फसलों के रूप में किसानों की आय में वृद्धि कर सकती हैं। विशेष रूप से जनजातीय कृषक समुदाय को तिलहन उत्पादन अपनाने हेतु प्रेरित किया गया, जिससे उनकी सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति सशक्त हो सके। तिलहन प्रसंस्करण और विपणन के माध्यम से ग्रामीण एवं जनजातीय क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर सृजित किए जा सकते हैं।
प्रमुख संस्थानों की भागीदारी
-इस मेले में संगम यूनिवर्सिटी, आर.एन.टी. कॉलेज, कपासन, माधव यूनिवर्सिटी, सिरोही, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भीलवाड़ा वेटरनिटी एंड एनिमल साइंसेज, नवानिया सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। इसके अतिरिक्त, आईडीएफसी, पी इंडस्ट्रीज, आईएफएम फाउंडेशन, एफ पॉलीमर, स्वराज ट्रैक्टर, राम फास्टेस्ट फास्फेट, अपर्णा सेवा संस्थान, आशा एफपीओ जैसे प्रतिष्ठानों व विभिन्न एन.जी.ओ. ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।