उदयपुर। उदयपुर को विश्व-स्तरीय पर्यटन नगरी बनाने के लिए सरकार और प्रशासन निरंतर प्रयासरत है। हाल ही में उपमुख्यमंत्री महोदय के उदयपुर दौरे के दौरान नाइट टूरिज्म बढ़ाने और पर्यटन को और गति देने पर चर्चाएँ हुई, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत है। दीपावली पर पर्यटन सीजन फुल रहनें की संभावना है। ऐसे में पुलिस द्वारा शहर मे ंआ रही पर्यटक बसों को शहरी सीमा से बाहर ही रोके जाने के कारण पर्यटन की छवि जहंा ध्ूामिल हो रही है वहीं इसको लेकर टूर आॅपरेटर,होटल व्यवसायी एवं बस ओपरेटर पर्यटन सीजन को लेकर चिंतित है।
उदयपुर टूरिस्ट बस सर्विस सोसायटी के अध्यक्ष मदनलाल मेनारिया ने बताया कि उदयपुर आने वाले हजारों देश-विदेशी पर्यटक, कॉर्पोरेट ग्रुप्स, कॉन्फ्रेंस डेलीगेट्स और डेस्टिनेशन वेडिंग के मेहमान बसों,कोचों से एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन से होटल तक पहुँचते हैं तथा सिटी पैलेस, फतेहसागर, सहेलियों की बाड़ी, मोती मगरी, लोक कला मंडल, लेक पिचोला, बड़ी झील आदि दर्शनीय स्थलों का भ्रमण करते हैं लेकिन यातायात पुलिस द्वारा आए दिन इन पर्यटक बसों को प्रताप नगर, फतेहपुरा, आर. के. सर्कल, शोभागपुरा पारस चैराहा, उदयपोल आदि स्थानों पर रोक दिया जाता है और कई बार शहर में प्रवेश तक नहीं करने दिया जाता। इसके कारण एक बस में सवार 50 पर्यटकों को सामान सहित ऑटो या रिक्शा पकड़ने की मजबूरी हो जाती है। कई बार 4-5 बसें एक ही ग्रुप में भी लगी होती हैं। ऐसे में अचानक 40-50 रिक्शा ढूँढना यात्रियों के लिए भारी परेशानी बन जाता है। वरिष्ठ नागरिक, बच्चे और विदेशी पर्यटक विशेष रूप से असुविधा महसूस करते हैं। इसका सीधा असर उदयपुर की पर्यटन और उसकी अनुकूल छवि पर पड़ रहा है। कई टूर ऑपरेटर बताते हैं कि अब पर्यटक उदयपुर की बजाय अन्य शहरों को अपनी यात्रा योजनाओं में शामिल करने लगे है।
टूर ऑपरेटर, होटल व्यवसायी और बस ऑपरेटरों की चिंता-यह समस्या केवल टूर ऑपरेटर या बस मालिकों की ही नहीं, बल्कि पूरे होटल और व्यापार जगत की साझा चिंता बन चुकी है। टूर ऑपरेटरों का कहना है कि ग्रुप टूर और कॉर्पोरेट इवेंट अब उदयपुर से हटकर दूसरे शहरों का रुख करने लगे हैं।
सोसायटी के कोषाध्यक्ष पानिल पोखरना ने बताया कि होटल व्यवसायियों का कहना है कि यदि बसें सीधे होटल तक नहीं पहुँचेंगी तो बड़े ग्रुप बुकिंग और डेस्टिनेशन वेडिंग पर गहरा असर पड़ेगा। बस ऑपरेटरों ने करोड़ों रुपये लगाकर लग्जरी कोच खरीदे हैं, लेकिन वे अब उन्हें पर्यटकों की सेवा में सही ढंग से चला ही नहीं पा रहे है।
इन तीनों वर्गों की साझा पीड़ा यही है कि यदि स्थिति का शीघ्र समाधान नहीं निकला तो उदयपुर का पर्यटन उद्योग गहरी चोट झेल सकता है।
टूरिस्ट बस ऑपरेटर कंपनियों की पीड़ा- सोसायटी के सचिव मांगीलाल मेनारिया ने बताया कि उदयपुर अब डेस्टिनेशन वेडिंग हब बन चुका है। कई क्लाइंट्स 150-180 यात्रियों की क्षमता वाले चार्टर प्लेन से सीधे यहाँ पहुँचते हैं। ऐसे ग्रुप्स का परिवहन केवल बसों-कोचों से ही संभव है। पर्यटन की संभावनाएँ देखकर बस, आॅपरेटरों ने करोड़ों रुपये निवेश करके वोल्वो और मर्सिडिज जैसी लग्जरी बसें पर्यटकों के लिये लगा रखी है लेकिन आज वही बसें पर्यटकों को होटल और दर्शनीय स्थलों तक भी नहीं पहुँचा पा रहीं।
सोसायटी के वरिष्ठ सदस्य नाहर सिंह चंदाना ने बताया कि यदि समूह को बीच रास्ते रोककर रिक्शा में भेजना पड़ेगा तो पर्यटक का अनुभव खराब होगा और वह दोबारा उदयपुर आना पसंद नहीं करेगा। सोसायटी के पूर्वाध्यक्ष रिषभ जैन ने बताया कि पर्यटन व्यवसाय ही उदयपुर की रीढ़ की हड्डी है। यदि पर्यटक को ही परेशानी होगी तो पूरा उद्योग प्रभावित होगा। श्याम जैन का कहना है कि पर्यटक ही नहीं, बल्कि स्थानीय शादियों और बारातों में भी बड़ी संख्या में बसों की जरूरत होती है। यदि इसी तरह बसों पर रोक-टोक जारी रही तो स्थानीय नागरिक भी परेशानी में आ जाएँगे।
होटल और व्यापार जगत पर असर -शहर पंाच सितारा प्रमुख होटलों में कॉर्पोरेट कॉन्फ्रेंस, वेडिंग और ग्रुप टूर लगातार आते हैं। यदि बसें ही नहीं पहुँचेंगी तो समूह सीधे होटल नहीं आ पाएगा और यह पर्यटन कारोबार पर गहरा असर डालेगा। उदयपुर की पूरी अर्थव्यवस्था पर्यटन से जुड़ी है। होटल, रेस्तरां, टैक्सी, गाइड, टूर एजेंट, हैंडीक्राफ्ट और कपड़ों का व्यापार सभी की रोजी-रोटी पर्यटक पर निर्भर है। आने वाले सीजन (नवरात्रि, दीपावली और नववर्ष) में जब सबसे अधिक पर्यटक और बड़े ग्रुप आते हैं, ऐसे समय में बसों पर रोक-टोक पर्यटन उद्योग के लिए बड़ा झटका साबित हो सकती है।
सोसाइटी के अध्यक्ष मदन मेनारिया ने बताया कि इस समस्या के समाधान हेतु सोसाइटी के पदाधिकारियों ने क्षेत्रीय पर्यटन उपनिदेशक सुश्री शिखा सक्सेना से भी मुलाकात की है और उन्होंने सकारात्मक आश्वासन दिया है लेकिन जब तक यातायात विभाग को स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिए जाते, समस्या जस की तस बनी रहेगी।
सोसाइटी ने मांग की है कि एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन से होटलों व दर्शनीय स्थलों तक पर्यटक बसों को बिना बाधा आने-जाने की अनुमति मिलें। यातायात पुलिस को सत्यापित पर्यटक बसों को न रोके जानें के स्पष्ट निर्देश दिए जाएँ तथा यदि आवश्यक हो तो बसों के लिए विशेष रूट और पार्किंग स्थल तय किए जाएँ, जिससे ट्रैफिक प्रबंधन भी बना रहे और पर्यटक को भी सुविधा मिले।
पर्यटक बसों पर पुलिस रोक से उदयपुर की पर्यटन छवि धूमिल-टूर ऑपरेटर, होटल व्यवसायी और बस ऑपरेटर चिंतित
