अंगदान-जीवनदान
भीलवाड़ा, 31 जुलाई। राष्ट्रीय अंगदान दिवस के उपलक्ष्य में जिले में चल रहे “अंगदान-जीवनदान महाअभियान“ को जनआंदोलन का स्वरूप देने की दिशा में अब निजी चिकित्सालयों ने भी अपना सक्रिय योगदान देना शुरू कर दिया है। जिले के विभिन्न निजी अस्पतालों के डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ व पैरामेडिकल कार्मिकों ने बुधवार को ऑनलाइन पंजीकरण कर अंगदान का संकल्प लिया और मानवता के इस पुनीत कार्य में भागीदारी निभाई।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सी.पी. गोस्वामी ने बताया कि जिलेभर में जागरूकता कार्यक्रमों की श्रृंखला चल रही है, जिनके माध्यम से लोगों को अंगदान के प्रति प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अंगदान एक ऐसा महान कार्य है, जिससे किसी जरूरतमंद को नया जीवन मिल सकता है।
डॉ. गोस्वामी ने बताया कि इस अभियान के अंतर्गत कोई भी इच्छुक व्यक्ति ऑनलाइन माध्यम से पंजीकरण कर अपनी मृत्यु के उपरांत अंगदान के लिए सहमति दे सकता है। यह पहल स्वास्थ्य व्यवस्था को और अधिक सशक्त बनाने में सहायक सिद्ध हो रही है।
संलग्न फोटोः- अंगदान-जीवनदान।
आशाओं ने लिया अंगदान का संकल्प,
’अंगदान-जीवनदान’ अभियान को मिली नई गति
भीलवाड़ा, 31 जुलाई। जिलेवासियों को अधिकाधिक संख्या में अंगदान के लिए प्रेरित करने और जरूरतमंदों व्यक्तियों के जीवन बचाने को लेकर बुधवार को जिले में ’अंगदान जीवनदान’ अभियान को लेकर एक नई और प्रेरणादायी पहल के तहत आशा सहयोगिनियों ने ऑनलाइन माध्यम से अंगदान की शपथ ली। इस आयोजन में बड़ी संख्या में आशा कार्यकर्ताओं ने भाग लेते हुए मानवता की सेवा में अंगदान का संकल्प लिया, जिससे समाज में अंगदान के प्रति सकारात्मक संदेश गया।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सी.पी. गोस्वामी ने बताया कि आशा सहयोगिनियां स्वास्थ्य सेवाओं की अंतिम कड़ी के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों में जन-जागरूकता की मजबूत आधारशिला हैं। उनके द्वारा अंगदान के लिए लिया गया यह सामूहिक संकल्प निश्चित रूप से आमजन में जागरूकता बढ़ाएगा और अधिक लोगों को इस पुनीत कार्य से जोड़ने में सहायक सिद्ध होगा। अभियान से जुड़े अधिकारियों ने इसे एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि आशा सहयोगिनियों की भागीदारी से ’अंगदान जीवनदान’ अभियान को नई दिशा और मजबूती मिलेगी।
ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मिला होम्योपैथी चिकित्सा का प्रशिक्षण,
स्वास्थ्य सेवाओं को मिलेगा नया विकल्प
भीलवाड़ा, 31 जुलाई। ग्रामीण क्षेत्रों में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों की पहुंच सुनिश्चित करने और आमजन को सुलभ चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ’उषा संस्था, जयपुर’ की पहल पर सुवाणा पंचायत समिति ब्लॉक में आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और ए.एन.एम. को होम्योपैथी चिकित्सा का विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सीपी गोस्वामी ने यह जानकारी देकर बताया कि यह प्रशिक्षण बाल विकास विभाग, भीलवाड़ा के सहयोग से आयोजित हुआ, जिसमें लगभग 250 से अधिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं एवं अधिकारियों ने भाग लिया। कार्यशाला का संचालन बाल विकास विभाग की उप निदेशक राजकुमारी खोरवाल द्वारा किया गया। उन्होंने बताया कि होम्योपैथी वैज्ञानिक, सुरक्षित, किफायती और प्रभावी चिकित्सा पद्धति है, जो कोविड काल में भी प्रभावी सिद्ध हुई है।
उषा संस्था के सदस्य पूर्व आई.ए.एस. प्रदीप कुमार बोरड ने बताया कि यह अभियान के अंतर्गत प्रदेश के 14 जिलों में 7000 से अधिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। प्रशिक्षण के दौरान डॉ. दिनेश चौधरी, डॉ. निधि सुखवाल, डॉ. सारिका जैन, डॉ. कुलदीप सोनगरा और डॉ. अखिलेश द्वारा होम्योपैथिक औषधियों की उपयोगिता, रोग आधारित उपचार एवं लक्षणों के आधार पर दवा चयन की जानकारी दी गई। कार्यशाला में महावीर इंटरनेशनल के पदाधिकारी अमित मेहता,
कार्यशाला में एएनएम लीला और शिल्पा जैन ने अपने प्रशिक्षण अनुभव साझा किए और बताया कि किस प्रकार होम्योपैथी चिकित्सा आमजन की छोटी-बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में सहायक बन सकती है।
इस प्रशिक्षण से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की क्षमता में वृद्धि होगी और होम्योपैथी जैसे वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति को जन-जन तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। कार्यक्रम का संचालन उषा संस्था अध्यक्ष रजनी बोरड द्वारा किया गया।