पांच दिवसीय पंचान्ह्विका महोत्सव के दूसरे दिन पाश्र्वनाथ पंच कल्याणक पूजा विधान सम्पन्न    

परमात्मा भक्ति के स्वरूप पंच कल्याणक पूजा का विधान हुआ  
– आयड़ जैन तीर्थ में अनवरत बह रही धर्म ज्ञान की गंगा  
उदयपुर 07 अक्टूबर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में शनिवार को पांच दिवसीय पंचान्ह्विका महोत्सव के दूसरे दिन विविध आयोजन हुए । महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ में पांच दिवसीय महोत्सव के तहत  प्रात: 9.15 बजे चन्द्र सिंह – उषा बोल्या की ओर से पाश्र्वनाथ पंच कल्याणक पूजा, जन्म कल्याणक, च्यवन कल्याणक, दीक्षा कल्याणक, केवल ज्ञान कल्याणक एवं निर्वाण यानि मोक्ष कल्याणक विधान का आयोजन किया गया। उसके बाद दोनों साध्वियों के सानिध्य में आरती, मंगल दीपक, सुबह सर्व औषधी से महाअभिषेक एवं अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।
जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि विशेष महोत्सव के उपलक्ष्य में प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने बताया कि पंच कल्याणक यानि तीर्थकर परमात्मा के ये पांचों कल्याणक होते है।  जिन कल्याणको को देव-देवी नर-नारी सभी जन महान महोत्सव पूर्वको मनाते है। ऐसे जिन प्रतिमा के दर्शन से पूजन-भक्ति करने से दर्शन विशुद्धि होती है और साथ-साथ परमात्मा के गुणों का भी बड़ी आसानी से चिंतन होता है। साकार उपासना के माध्यम से ही निराकार उपासना का अधिकारी बनता है। उच्च लक्ष रखे बिना कभी भी लक्षांक सिद्ध नहीं हो सकता। जिस प्रकार जहाज चलाने वाले का लक्ष ध्रुब कोटे पर रहता है और जहाज किनारे पहुँच जाता है उसी प्रकार प्रतिमा के आलंबन से आत्मा-मानव नीतराग स्वरूप का लक्ष रखकर वीतरागी बनता है। लक्ष्य ही सिद्धि प्रदान करवाना है।
चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर पांच दिवसीय पंचान्ह्विका महोत्सव के तहत रविवार को अठारह अभिषेक विधान की पूजा-अर्चना की जाएगी।  प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।

By Udaipurviews

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