उदयपुर, 25 जुलाई : उदयपुर के भीलों का बेदला स्थित पैसिफिक डेंटल कॉलेज में गुरुवार रात एक बेहद दर्दनाक घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। जम्मू की रहने वाली बीडीएस फाइनल ईयर की छात्रा श्वेता सिंह ने हॉस्टल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। रात करीब 11 बजे जब उसकी रूममेट लौटी तो उसने श्वेता को पंखे से लटका पाया। तत्काल उसे हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
श्वेता के कमरे से मिले सुसाइड नोट ने कॉलेज प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। नोट में श्वेता ने दो स्टाफ सदस्यों— माही मैम और भगवत सर पर दो साल से मानसिक प्रताड़ना देने का आरोप लगाया है। उसने लिखा कि हमारा करियर बर्बाद कर दिया। पैसे लेकर बच्चों को पास किया जाता है और बिना गलती के कुछ को फेल कर दिया जाता है।
श्वेता ने अपने नोट में लिखा कि वह पिछले दो वर्षों से बेहद तनाव में थी। उसका इंटर्नशिप बैचमेट पहले ही इंटर्न बन चुका था, लेकिन उसे बार-बार इंटरनल एग्जाम के नाम पर रोका जा रहा था। छात्रा ने सुसाइड नोट में लिखा कि मैं अब इस ड्रामे को और नहीं झेल सकती।
श्वेता जम्मू से थी और पुलिस कांस्टेबल की इकलौती बेटी थी। उसकी मौत की खबर लगते ही कॉलेज परिसर में गम और गुस्से का माहौल फैल गया। शुक्रवार सुबह छात्र-छात्राएं एकजुट होकर कॉलेज प्रशासन के खिलाफ धरने पर बैठ गए।
छात्रों का आरोप है कि प्रशासन उन पर विरोध बंद करने का दबाव बना रहा है। आज श्वेता गई है, कल कोई और होगा। कब तक हम चुप रहें?
सूचना मिलने पर सुखेर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और छात्रों को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे श्वेता को न्याय दिलाने की मांग पर अड़े रहे।
श्वेता के सुसाइड नोट में दर्ज आखिरी पंक्तियां हर संवेदनशील इंसान को झकझोर देती हैं— “मैं सिरदर्द से फ्री होना चाहती थी, सो हो गई। भगवान देख रहे होंगे।”
यह मामला सिर्फ एक छात्रा की मौत नहीं, बल्कि एक पूरे तंत्र पर बड़ा सवाल है— क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था करियर या जिंदगी चुनने पर मजबूर कर रही है?