उदयपुर, 17 जून। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय के अंतर्गत अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तिलहन पर फ्रंट लाइन डेमोंस्ट्रेशन के तहत झाडोल में एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य फसल विविधीकरण में तिलहन फसलों को शामिल करने को प्रोत्साहित करते हुए किसानों की आय और कृषि स्थिरता को बढ़ाना था।
कार्यक्रम में परियोजना प्रभारी डॉ. हरि सिंह, ने स्वागत भाषण दिया और परियोजना का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने तिलहन फसलों के महत्व, कृषि प्रणाली में विविधता लाने, और किसानों की आय बढ़ाने के तरीकों पर जोर दिया।
डॉ. एन.एल. मीणा, आर्चाय (कृषि विज्ञान) ने तिलहन फसलों में रोग प्रबंधन पर व्याख्यान दिया। उन्होंने किसानों को तिलहन फसलों में होने वाले व्याधियो की पहचान, उनके प्रभाव, और प्रभावी प्रबंधन तकनीकों पर विस्तृत जानकारी दी।
डॉ. नरेन्द्र यादव ने तिलहन आधारित खेती प्रणालियों के माध्यम से स्थायी कृषि विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने तिलहन आधारित फसल प्रणाली अपनाने के लाभों पर चर्चा की, जिसमें मृदा स्वास्थ्य सुधार, संसाधनों का कुशल उपयोग, और आर्थिक संवर्धन शामिल हैं।
इस कार्यक्रम में झाड़ोल और फलासिया से कुल 30 किसानों ने भाग लिया और प्रशिक्षण के अंत में किसानो को सोयाबीन के बीज वितरित किये।
कार्यक्रम में परियोजना प्रभारी डॉ. हरि सिंह, ने स्वागत भाषण दिया और परियोजना का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने तिलहन फसलों के महत्व, कृषि प्रणाली में विविधता लाने, और किसानों की आय बढ़ाने के तरीकों पर जोर दिया।
डॉ. एन.एल. मीणा, आर्चाय (कृषि विज्ञान) ने तिलहन फसलों में रोग प्रबंधन पर व्याख्यान दिया। उन्होंने किसानों को तिलहन फसलों में होने वाले व्याधियो की पहचान, उनके प्रभाव, और प्रभावी प्रबंधन तकनीकों पर विस्तृत जानकारी दी।
डॉ. नरेन्द्र यादव ने तिलहन आधारित खेती प्रणालियों के माध्यम से स्थायी कृषि विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने तिलहन आधारित फसल प्रणाली अपनाने के लाभों पर चर्चा की, जिसमें मृदा स्वास्थ्य सुधार, संसाधनों का कुशल उपयोग, और आर्थिक संवर्धन शामिल हैं।
इस कार्यक्रम में झाड़ोल और फलासिया से कुल 30 किसानों ने भाग लिया और प्रशिक्षण के अंत में किसानो को सोयाबीन के बीज वितरित किये।