उदयपुर, 5 सितम्बर। श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के तत्वावधान में मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में चातुर्मास कर रहे पंन्यास प्रवर निरागरत्न विजय ने गुरूवार को धर्मसभा में क्षमापर्व महापर्व के छठें दिन भगवान महावीर का जन्म से लगाकर निर्वाण तक का सम्पूर्ण जीवन चरित्र सुनाया। उन्होंने कहा कि कोई आपको धनवान कहे वो पसंद या उदारदिल कहे? आपका सुंदर दिखने का पुरूषार्थ ज्यादा या सदाचारी बनने का। पुण्य उदय के कार्य में आपका प्रयत्न ज्यादा या पुण्य बंध में? भगवान महावीर स्वामी को दीक्षा के बाद पीड़ा काल प्रारम्भ हुआ उस पीड़ा काल में वस्तु, व्यक्ति, परिस्थिति, कर्म और प्रकृति के द्वारा अलग-अलग प्रकार के कष्ट आए। परमात्मा के जीवन में विशेषता थी प्रेम भरा स्वभाव। हम अपने पाप से नहीं रो पाए और प्रभु संगम के पाप से रो दिए। हम आज यह एक्शन लेकर जाएं कि हम महावीर नहीं तो महावीर के तो बन कर ही रहेंगे। कैसी भी परिस्थिति हो उसमें प्रसन्न रहना। व्यक्ति को दुःख-’दर्द कब नहीं लगता? जिनके चेहरे पे स्मित और मन में अच्छी स्मृति हो वो हर हाल में खुश रह सकता है। चातुर्मास प्रवक्ता राजेश जवेरिया ने बताया कि पर्युषण पर्व में धर्माराधना का अम्बार लगा हुआ है। कई बड़ी-बड़ी तपस्याएं भी हो रही है। वहीं एकासन, बियासन, तेला की लड़ी लगी हुई है।
परिस्थिति कैसी भी हो उसमें प्रसन्न रहना चाहिए : निरागरत्न
