उदयपुर। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ की ओर से सिंधी बाजार स्थित पंचायती नोहरे में श्रमण संघीय प्रवर्तक सुकनमुनि महाराज ने चातुर्मास के अवसर पर प्रातः कालीन धर्म सभा में कहा कि भगवान महावीर की वाणी जीवन का कल्याण करने वाली होती है।
जिन्होंने महावीर की वाणी का अनुसरण किया इसके अनुसार अपने जीवन को जिया तो उसके जीवन का उत्थान और उसके जीवन का कल्याण सुनिश्चित है। अपने जीवन को बनाना या बिगड़ना या मनुष्य के हाथ में ही है। संगत अच्छी होगी तो जीवन अच्छा और संस्कारवान बनेगा और अगर संगति बुरी होगी तो जीवन भी बुरा होगा और व्यक्ति बुरे रास्ते पर ही चलने लगेगा। अगर आपकी संगत अच्छी नहीं है, अच्छी शिक्षा नहीं है और अच्छे संस्कार नहीं है तो आपके विचार भी बुरे ही होंगे। जो व्यक्ति गुरु के सानिध्य में रहता है, उनकी वाणी सुनता है और गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करता है उसके जीवन में हमेशा कल्याण होता है। बुद्धिमान और अच्छे काम करने वालों की समाज में हमेशा पूछ होती है।
उप प्रवर्तक अमृत मुनि ने कहा कि हमें जीवन में ऐसा पुरुषार्थ करना चाहिए कि जहां हम नहीं हो वहां हमारी कमी लोगों को हमेशा खले और अखरे। हमें नाम और राशि के चक्कर में नहीं पडना है। नाम और राशि तो राम और रावण की भी एक ही थी। कृष्ण और कंस की भी एक ही थी। लेकिन प्रभु श्री राम को तो दुनिया में पूजा जाता है जबकि रावण को हर साल जलाया जाता है। इस संसार में मनुष्य के कर्म ही ऐसे होते हैं जिनकी वजह से व्यक्ति की पहचान बनती है। जो व्यक्ति जैसा कर्म करेगा उसकी पहचान भी वैसी ही बनेगी।
धर्म सभा संचालनकर्ता एडवोकेट महामंत्री रोशन लाल जैन ने बताया कि चातुर्मास काल से ही निरंतर नवकार महामंत्र के जप्यानुष्ठान चल रहे हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों से श्रावक श्रवक्ताओं का आना लगातार जारी है। रविवार को भी बाहर से आए हुए श्रावक श्राविकाओं एवं अतिथियों का धर्म सभा में सम्मान अभिनंदन किया गया।
अपने जीवन को बनाना और बिगाड़ना स्वयं के हाथ में : सुकनमुनि
