विश्व गौरैया दिवस पर संरक्षण का लिया संकल्प
आमजन में पक्षियों के प्रति बदला नजरियाॅ
उदयुपर 20 मार्च। विश्व गौरैया दिवस पर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने गुरूवार को केन्द्रीय परिसर में पक्षियों के लिए पानी एवं दाने के लिए परिंडे बांधने की शुरूआत की। प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि पक्षियों के अद्भुत संसार में गौरैया की अपनी एक अलग ही पहचान है। गौरैया उन विशेष पक्षियों में से एक है जिन्हें इंसानों के साथ रहना पसंद है जो हमारे आसपास घांेसला बना कर रहती है। मनुष्योें की बढती आबादी की वजह से आज पक्षियों का आशियाना कम होता जा रहा है शहरीकरण के चलते खेत और खलिहान भी कम होते जा रहे है, गौरैया जिसे हम ‘‘मानव मित्र ’’ भी कहते है आज उनके रहने की जगह न के बराबर है हालांकि गांवों में अब भी बेहतर माहौल होने की वजह से इनकी संख्याॅ अच्छी खांसी है। हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है, ताकि इन पक्षियों के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके। गौरैया को कुछ संस्कृतियों में शुभ माना जाता है, और कुछ लोग इसे घर में शांति और समृद्धि का प्रतीक मानते है।
क ुलाधिपति भंवर लाल गुर्जर ने कहा कि शहरों में पक्षियों के प्रति आमजन का नजरियाॅ बदला है और अपने घरों के आसपास इनका स्थान बनाया है जिसके कारण इनकी संख्याॅ बढ़ी है। शहरों में बढता ध्वनि व वायु प्रदुषण गौरैया की घटती आबादी के प्रमुख कारण है। पर्यावरण के जानकारों के अनुसार आधुनिक घरो की बनावट में तब्दीली, खेती के तरीकों में परिवर्तन, प्रदूषण, मोबाईल टावर इन सभी की वजह से गौरैया कम दिखती है। उन्होंने कहा कि हम इन पक्षियों से अपने बच्चों को जोडकर प्रारंभिक संरक्षण अपने घर से ही कर सकते है।
इस अवसर पर रजिस्ट्रार डाॅ. तरूण श्रीमाली, पीठ स्थविर डाॅ. कौशल नागदा, डाॅ. बलिदान जैन, डाॅ. सुनिता मुर्डिया, डाॅ. अमी राठौड़, डाॅ. सपना श्रीमाली, सुभाष बोहरा, डाॅ. चन्द्रेश छतलानी, निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत, जितेन्द्र सिंह चैहान, डाॅ. आशीष नंदवाना, डाॅ. यज्ञ आमेटा, उमराव सिंह, भगवती लाल श्रीमाली, लहरनाथ, डाॅ. नजमुद्दीन, डाॅ. मनीषा मेहता, डाॅ. ललित सालवी, कालुसिंह, विकास डांगी, विजयलक्ष्मी सोनी, सांवरिया लाल सहित कार्यकर्ताओं ने पक्षियों के लिए पानी के परिंडे बांध गौरैया के संरक्षण की शपथ ली।
गौरैया को बनाये घर का गौरव – गौरैया को दे प्राकृतिक माहौल – प्रो. सारंगदेवोत
