श्रीनाथजी में अन्नकूट की लूट, भाव-विभोर हुए श्रद्धालु

– गायों की पूजा, कान्हा जगाई की रस्म, ग्वाल बालों ने कूंपों से गौधन का खैलाया
राजसमंद। राजसमंद के नाथद्वारा स्थित श्रीनाथजी मंदिर में सोमवार शाम गोवर्धन पूजा हुइ। इसके बाद रात 12 बजे अन्नकूट की लूट रस्म की गई। मंदिर के गोवर्धन चौक में गोबर से भगवान गोवर्धन की प्रतिकृति बनाई गई। गोवर्धन पर्वत को नाथूवास गोशाला की गायों से गुंदाया गया। गोवर्धन पूजा के लिए रविवार को नाथूवास गोशाला की गायों को मंदिर में आमंत्रित किया गया था। इस रस्म को कान्ह जगाई रस्म कहा जाता है। रस्म के तहत गायों के कान में कहा गया कि पूरे कुनबे के साथ वे अन्नकूट महोत्सव में पधारें। यह परंपरा 350 सालों से निभाई जा रही है। महोत्सव के तहत सोमवार को सुबह 5 बजे श्रीनाथजी की मंगला झांकी हुई। झांकी के बाद पट बंद कर दिए गए। दोपहर 2 बजे नाथूवास गोशाला से गायों को लेकर ग्वाले श्रीनाथजी मंदिर पहुंचे। इसके बाद शाम 4 बजे तक मंदिर में गायों की पूजा की गई। इस मौके पर कई प्रकार के आयोजन किए गए। रविवार को श्रीनाथजी मंदिर में कान्ह जगाई की रस्म निभाई गई। इस मौके पर नाथूवास गोशाला से गायों को लेकर पहुंचे ग्वाल हेड। इस दौरान ग्वालों ने किलंगी, टोरों, अंगरखी, धोती व अन्य पारंपरिक परिधानों को पहनकर गायन करते हुए श्रीनाथजी मंदिर की 4 परिक्रमा लगाई। परिक्रमा के बाद गायों को गोविंद चौक लाया गया। जहां गायों से गौ क्रीड़ा (खेखरा) करवाई गई। ग्वाल बालों ने कूंपी से गायों को उकसाया तो गायों ने भी उपस्थित श्रद्धालुओं को दौड़ाया। शाम 4 बजे से गोवर्धन चौक में गोवर्धन पूजा आरंभ की गई। भगवान के स्वरूप को डोली में बैठाकर गोवर्धन चौक लाया गया।  इस मौके पर गोवर्धन चौक में नाथूवास गोशाला से आए गोबर से गोवर्धन का स्वरूप तैयार किया गया था। पूजा के बाद इस स्वरूप को गायों के पैरों से गोवर्धन पर्वत गुंदाया गया। सोमवार दोपहर करीब 12 बजे गोवर्धन पूजा के लिए नाथूवास गोशाला से गायों को श्रीजी हवेली के गोवर्धन पूजा चौक पर लाया गया। इस मौके पर मंदिर मार्ग सहित आसपास के क्षेत्र में गिरिराज धरण की जय, आज के आनन्द की जय के जयकारों की गूंज रही। श्रद्धालुओं ने नाथद्वारा की गलियों से गुजरती हुई गायों को छुकर उनका आशीर्वाद भी प्राप्त किया।   रात 12 बजे तक भगवान के अन्नकूट भोग के दर्शन करवाए गए। रात 12 बजे पट बंद होने के बाद भील आदिवासियों के लिए नक्कारखाने का गेट खोला गया। इस दौरान आदिवासी रात 12 बजे से कमल चौक पहुंचे और अन्नकूट प्रसादी की लूट की।
भील आदिवासी इस प्रसाद को अपने घरों में रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस प्रसाद के बाद उनके घरों में कभी अन्न की कमी नहीं रहती है। इसे सुखा कर अपनी रसाई में रखते हैं और इसका उपयोग करते रहते हैं। वहीं, आम श्रद्धालु भी यह प्रसाद भील आदिवासी लोगों से मांग कर ले जाते है और अपने घरों में रखते हैं। श्रीनाथजी मंदिर में गोवर्धन पूजा व अन्नकूट उत्सव में शामिल होने के लिए राजस्थान के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश सहित देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

By Udaipurviews

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