जब शून्य दिया भारत ने, तब दुनिया को गिनती आई – विकास राज
बांसवाड़ा,12 अगस्त। “देशभक्ति और राष्ट्रभक्ति केवल भाषणों से नहीं आती, यह व्यवहार और आचरण से जीवन में उतरती है। शिक्षा के साथ जीवन मूल्यों की शिक्षा आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। जब भारत ने विश्व को शून्य का ज्ञान दिया, तभी विश्व को गिनती करना आया। भारत के गौरवशाली इतिहास, कला, ज्ञान, विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में हमारे पूर्वजों की अद्वितीय उपलब्धियों पर हमें गर्व होना चाहिए।”
यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक विकास राज ने व्यक्त किए। वे पीएम श्री राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, बड़ोदिया में “अखंड भारत” विषय पर आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था प्रधान अनुभूति जैन ने की, जबकि मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता विभाग प्रचारक विकास राज थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में मंडल अध्यक्ष लालसिंह सौलंकी, चंद्रकांत खोड़निया, विद्या भारती जनजाति समिति राजस्थान के सह सचिव कल्पेश ठाकुर, पवन भावसार, गोपाल राव एवं बापूलाल गर्ग मंचासीन रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथि परिचय के साथ हुआ, जिसे पवन जोशी ने प्रस्तुत किया। इसके बाद अतिथियों का तिलक व उपरणा पहनाकर पारंपरिक स्वागत किया गया। संस्था प्रधान अनुभूति जैन ने शब्द-सुमन अर्पित कर सभी का अभिनंदन किया और विद्यालय की शैक्षणिक व सांस्कृतिक गतिविधियों की जानकारी दी।
अपने संबोधन में विकास राज ने कहा कि अखंड भारत का अर्थ केवल भौगोलिक एकता नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और वैचारिक एकता भी है। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे भारतीय संस्कृति, इतिहास और परंपराओं को समझें और अपने जीवन में आत्मसात करें। उन्होंने यह भी कहा कि विज्ञान और गणित में भारत की प्राचीन उपलब्धियों को दुनिया ने स्वीकारा है, और आज की पीढ़ी को इन पर गर्व करते हुए आगे बढ़ना चाहिए।
विशिष्ट अतिथियों ने भी अपने विचार रखते हुए शिक्षा में नैतिक मूल्यों की अनिवार्यता और भारत की एकता-अखंडता के महत्व पर जोर दिया।
कार्यक्रम का संचालन जयप्रकाश जोशी ने किया, जबकि आभार ज्ञापन प्रधानाचार्य बापूलाल गर्ग ने व्यक्त किया।