संत द्वारा दिया गया ज्ञान दान हमारे शुभ कर्मों का पोषण करता है : महासती विजयलक्ष्मी

उदयपुर, 24 जुलाई। श्री हुक्मगच्छीय साधुमार्गी स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के तत्वावधान में केशवनगर स्थित नवकार भवन में चातुर्मास कर रही महासती विजयलक्ष्मी जी म.सा. ने गुरूवार को धर्मसभा में कहा कि नारकी का जीव एकांत दुख को भोगता है। प्रभु महावीर ने नरक के जीवों की क्षेत्र वेदना, परमाधामीकृत वेदना एवं परस्पर उदारित वेदना ये तीन वेदनाएं बतलाई हैं। दूसरों को रूपए, पैसे ,वस्त्र, भोजन आदि की जो-जो अंतराय देते हैं, वे ही अंतराय हमें भी भुगतनी पड़ती हैं। अतः अंतराय देना नहीं, अंतराय की अनुमोदना करना नहीं और अंतराय देने की सलाह देना नहीं वरना इसका परिणाम हमें स्वयं ही भोगना पड़ेगा। दान दो प्रकार का होता है-आहारदान व ज्ञानदान। गृहस्थ द्वारा दिया गया आहार का दान शरीर का पोषण करता है, जबकि संतों के द्वारा दिया गया ज्ञान का दान हमारे भव-भव में शुभ कर्मों का पोषण करता है। साधु-संतों की प्रेरणा से किए गए छोटे-छोटे त्याग से भी आत्मा मुक्ति की मंजिल के निकट पहुंच जाती है। इससे पूर्व महासती श्री सिद्धिश्री जी म.सा. ने कहा कि खुद खाने से पहले दूसरों को खिलाओ और उसके बाद खिलखिलाओ। मोक्ष का पहला द्वारा दान ही है जो बाँट कर नहीं खाता वह असंविभागी कहलाता है और ऐसा असंविभागी व्यक्ति मोक्ष का अधिकारी नहीं होता है।

जो अहंकार में रहता है वह अपना पतन स्वयं करता है : जिनेन्द्र मुनि
उदयपुर, 24 जुलाई। श्री वर्धमान गुरू पुष्कर ध्यान केन्द्र के तत्वावधान में दूधिया गणेश जी स्थित स्थानक में चातुर्मास कर रहे महाश्रमण काव्यतीर्थ श्री जिनेन्द्र मुनि जी म.सा. ने गुरूवार को धर्मसभा में कहा कि जीवन में विनय गुण का होना अति आवश्यक है, हम जितना विनयवान होंगे उतना ही गुणों को धारण करते चले जाएंगे। विनय ही जीवन में उन्नति एवं प्रगति के मार्ग को खोलता है। वहीं दूसरी ओर जो व्यक्ति इसके विपरीत चलता है अर्थात अहंकार में रहता है, वो अपना पतन स्वयं करता है। जीवन को हम जितना सरलता से जिएंगे उतना ही जीने का आनंद भी आएगा। रविन्द्र मुनि जी म.सा. ने कहा कि आज सबसे पहली प्राथमिकता है बच्चों को संस्कारित करें। हमारे बच्चों में संस्कार का बीजारोपण होगा तो वे स्वतः ही सदमार्ग पर आगे बढ़ते चले जाएंगे। संस्कार ही हमारी नींव है, इसलिए बच्चों को प्रारम्भिक शिक्षा के साथ-साथ संस्कारों की शिक्षा देना भी अति आवश्यक है। केंद्र अध्यक्ष निर्मल पोखरना ने बताया कि चातुर्मास में श्रावक-श्राविकाओं का जमावड़ा लगा हुआ है और कई तप-त्याग, प्रत्याख्यान की लड़ियां जारी है। मीडिया प्रभारी संदीप बोलिया ने बताया कि बाहर से भी श्रद्धालुओं के आने का क्रम निरन्तर बना हुआ है।

जज़्बा वीरा ने छात्रावास में छात्राओं को खिलाए मालपुए , कचौरी व फल
उदयपुर, 24 जुलाई। महावीर इंटरनेशनल जज्बा वीरा केंद्र द्वारा गुरूवार को राजकीय जनजाति कस्तूरबा बालिका आश्रम छात्रावास एवं खेल छात्रावास मधुबन में हरियाली अमावस्या के उपलक्ष में कक्षा 6 से 12 वीं तक कि सभी 176 बालिकाओं को मालपुए, कचोरी, वेफर्स व केले वितरित किए गए।
केन्द्र अध्यक्ष डॉ. हंसा हिंगड़ ने बताया कि गुरूवार को हरियाली अमावस्या पर केन्द्र की सदस्याएं राजकीय जनजाति कस्तूरबा बालिका आश्रम छात्रावास एवं खेल छात्रावास मधुबन गए जहां छात्राओं को मालपुए, कचोरी, वेफर्स, केले व अन्य फलों का वितरण किया गया। इस अवसर पर सचिव सुमन भंडारी, सपना मेहता, मीना सुरेश पोखरणा, निर्मला पोखरणा, किरण जैन, वीना धाकड़, रेणु भटनागर, तृप्ति झा, शिखा कावड़िया, ललिता बाफना, ज्योति साहू आदि उपस्थित रहे। इस अवसर पर छात्राओं को श्रावण मास में मनाये जाने वाले स्थानीय पारंपरिक त्योहारों की जानकारी प्रदान की। इस अवसर पर छात्रावास की वार्डन लीला मीणा ने सभी का स्वागत किया व एकेडमिक कोच अनुपमा शाह, निर्मला पटेल ,यशोदा तिवारी, पूनम डोडा व निशा पण्ड्या का भी विशेष सहयोग रहा।
By Udaipurviews

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