लोकसाहित्य भारतीय जनमानस की आत्मा में बसता है- किरण बाला ‘किरन’

उन्मेष‘ अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव 2025

उदयपुर, 30 सितम्बर। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार का साहित्य अकादेमी दिल्ली एवं बिहार सरकार द्वारा आयोजित एशिया का सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ 4 दिवसीय आयोजन 25 से 28 सितंबर 2025 तक ज्ञान भवन, सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र, पटना, बिहार में आयोजित किया गया। इस आयोजन के समापन समारोह के मुख्य अतिथि भारत के उपराष्ट्रपति महोदय माननीय सी पी राधाकृष्णन थे वहीं उद्घाटन बिहार के माननीय राज्यपाल श्री आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने किया।

इस भव्य एवं अद्भुत अनुष्ठान में प्रतिभागिता करते हुए मेवाड़ की साहित्यकार किरण बाला ‘किरन’ ने “भारत में लोक साहित्य, मिथ और यथार्थ से शहरी असंबद्धता” पर  सत्र में अपने वक्तव्य में कहा कि लोकसाहित्य भारतीय जनमानस की आत्मा में बसता है। यह जीवन का रस है इसे मानव से कभी अलग नहीं किया जा सकता। मिथ पर बात करते हुए किरण ने कहा कि यह हमारे पौराणिक आख्यान हैं , यह हमें दिशा देते हैं, प्रेरणा देते हैं,  सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। इन्हें मात्र मिथ नहीं कहा जा सकता एवं इसी संदर्भ में भारत की वर्तमान स्थिति पर अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत देश से लोकसाहित्य एवं पौराणिक कथाएं कभी असंबद्ध नहीं हो सकती कम या अधिक परिवर्तित रूप में ही सही सदा रहेंगी।

इस आयोजन में भारत सहित 16 देशों की सहभागिता में 550 लेखक शामिल हुए एवं 100 भाषाओं में 90 से अधिक सत्र 4 दिनों में आयोजित हुए।

युगधारा के संस्थापक ज्योतिपुंज ने बताया कि युगधारा की अध्यक्ष किरण बाला ने इस आयोजन  प्रतिभागिता कर मेवाड़ का मान बढ़ाया है। इस सत्र में राजस्थान से एकमात्र महिला साहित्यकार प्रतिनिधि के रूप में अपनी उपस्थिति दी। प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत एवं राजस्थानी एवं हिंदी दोनों भाषाओं में  किरण सक्रिय रूप से सदैव साहित्य की सेवा करती है। डॉ इंदुशेखर तत्पुरुष, डॉ साधना बलवटे, डॉ गजेसिंह राजपुरोहित, जयप्रकाश मानस, डॉ मंगला रानी, शायर मुमताज, एवं डॉ प्रकाशदान चारण सहित कई वरिष्ठ साहित्यकारों से सदन भरा रहा। इस सत्र में विभिन्न राज्यों से आए वक्ताओं ने सहभागिता कर अपने-अपने विचार व्यक्त किए।

By Udaipurviews

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