ट्रम्प की बयानबाज़ी से उठे सवाल, भारत ने संभाली अपनी स्थिति

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बार‑बार बदलते बयानों ने अमेरिका की वैश्विक विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारत से जुड़ी घटनाओं — जैसे पाकिस्तान के विरुद्ध भारत द्वारा चलाया गया ऑपरेशन सिंदूर और व्यापारिक विवादों में टैरिफ बढ़ोतरी — पर अमेरिका की प्रतिक्रियाएँ विरोधाभासी रही हैं। इससे साझेदार देशों के बीच असमंजस की स्थिति उत्पन्न हुई है।
भारत ने इस अस्थिर स्थिति में संयम और कूटनीति का परिचय दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि भारत अपने रणनीतिक निर्णय स्वतंत्र रूप से करेगा, लेकिन संवाद का रास्ता खुला रखेगा।
ऑपरेशन सिंदूर पर अमेरिका की प्रतिक्रिया-
भारत ने आतंकवादी ठिकानों पर कार्रवाई करते हुए ऑपरेशन सिंदूर चलाया। भारत का कहना था कि यह अभियान सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए आवश्यक था। अमेरिका ने शुरुआत में शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन बाद में उसके बयान विभाजित दिखे। एक तरफ अमेरिकी प्रशासन ने भारत की कार्रवाई पर चिंता व्यक्त की तो वहीं दूसरी तरफ कहा गया कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिक्रिया को उचित भी बताया। साथ ही राष्ट्रपति ट्रंप ने युद्ध विराम का श्रेय लेने का भी भरसक प्रयास किया। इससे अमेरिका की नीति पर प्रश्न उठे।
व्यापार विवाद और बढ़ते शुल्क
अमेरिका ने जुलाई -अगस्त में भारत से आयातित कुछ वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू कर दिया। अमेरिका का कहना है कि यह कदम घरेलू उद्योगों को संरक्षण देने के लिए जरुरी था। लेकिन भारत ने इसे असंतुलित व्यापार की दिशा में अवाछंनीय कदम करार दिया। दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता जारी है, लेकिन अमेरिका की अस्थिर नीति से निवेशकों और नीति निर्धारकों में अनिश्चितता ही बढ़ी है।
विश्वसनीयता पर प्रश्न
विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका की लगातार बदलती प्रतिक्रिया उसकी विदेश नीति की कमजोरी दर्शाती है। विश्व मंच पर नेतृत्व की छवि बनाए रखने के लिए स्थिरता आवश्यक होती है। यदि बयान असंगत रहें तो साझेदार देश सहयोग में सतर्क हो जाते हैं और दीर्घकालिक रणनीति प्रभावित होती है।
भारत की संतुलित प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद और सीमा सुरक्षा जैसे मुद्दों पर दृढ़ है, लेकिन वैश्विक साझेदारी के लिए संवाद का रास्ता खुला रहेगा। भारत ने अपनी रक्षा और व्यापार नीति में आत्मनिर्भरता और बहुपक्षीय सहयोग को प्राथमिकता देने की बात कही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका पर पूरी तरह भरोसा करना इस समय जोखिमपूर्ण है। भारत को अपनी आर्थिक और सुरक्षा नीति में स्पष्टता लानी होगी और आवश्यक होने पर वैकल्पिक साझेदारों के साथ सहयोग बढ़ाना होगा। साथ ही, अमेरिका के साथ संवाद बनाए रखते हुए पारदर्शिता और रणनीतिक हितों की रक्षा पर ध्यान देना होगा।

भगवान प्रसाद गौड़, उदयपुर

By Udaipurviews

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