“प्रणवीर प्रताप” के मंचन के साथ “मेला” का शुभारम्भ

अगले तीन दिन होंगे राजस्थानी, उर्दू, हिंदी पर आधारित कार्यक्रम
स्थानीय साहित्य प्रेमियों को मिलेगा बड़े साहित्यकारों से रूबरू होने का मौका

 उदयपुर, 23 मार्च। “जब तक अपनी मातृभूमि के समूचे भाग को मुगलों के चंगुल मुक्त नहीं करवा दूं, कोई राजसी सुविधा नहीं भोगूंगा।“ शूरवीर प्रताप ने जब दृढता के साथ तलवार की मूठ पर हाथ रखते हुए रक्ताभ आंखों से आकाश की ओर देखकर यह कठिन प्रण का उद्घोष किया तो मोहन लाल सुखाड़िया विवि का विवेकानंद सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। साढ़े चार सौ साल पहले के दृश्य को जब कलाकारों ने मंच पर सजीव कर दिया तो हर कोई इनके अभिनय की तारीफ कर उठा। अवसर था भाषा, साहित्य व कला के चार दिवसीय आयोजन “मेला”(मर्जिंग एलिमेंट्स ऑफ लेंग्वेज, लिटरेचर एंड आर्ट्स) के उद्घाटन का।

मौलिक संस्थान और सुखाड़िया विवि के राजस्थानी विभाग की ओर से राजस्थान साहित्य अकादमी उर्दू अकादमी, उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के सहयोग से स्थानीय युवाओं एवं कला-साहित्य प्रेमियों को राजस्थानी, उर्दू व हिंदी भाषाओं ख्यातिलब्ध साहित्यकारों व कला के विभिन्न रूपों के बड़े हस्ताक्षरों से रूबरू होने का अवसर प्रदान करने के लिए यह आयोजन किया जा रहा है। शिवराज सोनवाल के निर्देशन में “प्रणवीर प्रताप” के मंचन के साथ ही चार दिवसीय आयोजन का औपचारिक उद्घाटन हुआ। महाराणा प्रताप के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को समेटे इस नाटक में प्रताप के संघर्ष, स्वाभिमान, शौर्य, त्याग एवं स्वतंत्रता के प्रति मर मिटने की ललक को रेखांकित किया गया। नाटक में एक विशेष प्रयोग करते हुए मेवाड़ के दृश्यों को मंच पर लाइव अभिनीत किया गया वहीं पहले से फिल्मांकित अकबर दरबार के दृश्य एलईडी स्क्रीन पर दिखाए गए। इस प्रयोग से दर्शक नाटक से जुड़े रहे वहीं दृश्य बदलने पर आने वाले अंतराल नहीं होने से तारतम्य बना रहा। दृष्यों का प्रवाह ऐसा बहा कि दर्शक एकटक मंच को निहारते रहे। उदयसागर की पाल पर राजा मानसिंह, कुंवर अमरसिंह और भीमसिंह डोडिया के बीच हुई कहासुनी का दृश्या अत्यधिक प्रभावी बन पड़ा।

 उद्घाटन अवसर पर अतिथियों के रुप में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के पूर्व उपाध्यक्ष अर्जुन देव चारण, राजस्थानी के बड़े साहित्यकार डॉ आईदान सिंह भाटी, पुरुषोत्तम पल्लव, महेन्द्र मोदी, राजवीर सिंह चलकोई, मोनिका गौड़, डॉ सुरेश सालवी, गौतम राठौड़, आशीष हरकावत, अली असगर, शब्बीर हुसैन उपस्थित रहे।

इन्होने मनवाया अभिनय का लोहा

नाटक का निर्देशन शिवराज सोनवाल ने किया। स्टार प्लस के धारावाहिक महाभारत में विदुर का चरित्र निभाने वाले नवीन जीनगर अपने अभिनय से मुख्य पात्र प्रताप जैसे मंच पर साकार ही कर दिया। रानी सा के किरदार में काजल वर्मा, शक्ति सिंह के रुप में अमित व्यास, किशन सिहं के रुप में अनिल दाधीच, भीम सिंह के रुप में सतीश आशी ने अपनी अभियन प्रतिभा का लोहा मनवाया। भूपेन्द्र चौहान ने हकीम खां, रवि सेन ने अमर सिंह, फतेह सिंह ने भीलू राणा, लक्ष्यराज सिंह ने जेत सिंह, रमेश नागदा ने मान सिंह सोनगरा शुभम आमेटा ने आमेर राजा मानसिंह, विजय लाल ने झाला मान सहित राहुल जोशी, सौम्य जोशी, आदित्य जोशी, सुखदेव सिंह राव, मुकुल जीनगर, खुशूब व नक्षत्रा ने विभिन्न किरदार निभाए।

पांच शख्सियतों को किया मौलिक सम्मान से सम्मानित

इस अवसर पर डॉ सोनल कंठालिया को मौलिक शिक्षा गौरव सम्मान, पुरूषोत्तम पल्लव व महेंद्र मोदी को मौलिक मेवाड़ साहित्य सम्मान, विजय लक्ष्मी आमेटा को मौलिक लोक कला गौरव सम्मान तथा कनिष्का वर्मा व काव्या हरकावत को मौलिक अंकुर कला सम्मान से सम्मानित किया गया। जीआर पोर्टफोलियो की ओर से इन्हे उरपना, प्रशस्ति पत्र एवं नकद राशि प्रदान कर सम्मानित किया गया।

अगले तीन में होंगे तीन भाषाओं के सत्र

मेला निदेशक कपिल पालीवाल ने बताया कि शुक्रवार को प्रातः दस बजे से राजस्थानी भाषा के विभिन्न सत्रों में विशेषज्ञ अपनी बात रखेंगे। शाम को लोक नृत्य व संगीत संध्या आयोजित होगी। शनिवार को प्रातः दस बजे से उर्दू भाषा के विभिन्न सत्रों मों विद्वान शिरकत करेंगे।  सांयकाल प्रसिद्ध शायर आलोक श्रीवास्तव अपना हुनर दिखाएंगे। रविवार के हिंदी के सत्रों में विभिन्न विषयों पर विमर्श होगा। समापन “रूह से रूह तक” सांस्कृतिक संध्या के साथ चार दिवसीय आयोजन का समापन होगा। सभी कार्यक्रम सुखाड़िया विवि गेस्ट हाउस के बप्पा रावल सभागार में होंगे।

By Udaipurviews

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