-वेटलैंड संरक्षण के नियमों के विपरीत है यह सब निर्णय
उदयपुर, 23 अगस्त , फतेह सागर वेटलैंड के रानी रोड क्षेत्र में चौपाटी, रात्रि बाजार तथा बोटिंग स्टेशन इत्यादि व्यावसायिक गतिविधियां सुप्रीम कोर्ट तथा एन जी टी के निर्देशों के खिलाफ है। आश्चर्य है कि रामसर वेटलैंड सिटी के उद्देश्यों के विरुद्ध गतिविधियों को अनुमत किया जा रहा है।
रविवार को आयोजित झील संवाद में इस पर गंभीर आपत्ति व्यक्त करते हुए जिला कलेक्टर एवं यू डी ए से न्यायालयी निर्देशों की अनुपालना का आग्रह किया गया।
संवाद में डॉ अनिल मेहता ने कहा कि
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने डॉ अनिल मेहता बनाम राज्य सरकार प्रकरण में की हुए झीलों के इर्द गिर्द शोर प्रदूषण नियंत्रण , प्रकाश ( लाईट) प्रदूषण तथा झील पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण पर निर्देश दिए हुए है। एन जी टी निर्देशों के अनुसार फतेहसागर झील का वेटलैंड संरक्षण अधिनियम की धारा 4 के प्रावधानो व प्रतिबंधों के तहत संरक्षण करना सरकार व प्रशासन की जिम्मेदारी है।
मेहता ने कहा कि निर्देशों के अनुसार सज्जन गढ़ इको सेंसिटिव ज़ोन के लिए निर्धारित सभी नियम फतेहसागर पर भी लागू है। ऐसे में रानी रोड जो इको सेंसिटिव जोन के भीतर है , उस पर व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ाना न्यायालयी नियमों की अवमानना है।
झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि पर्यटन बढ़ाने के नाम पर पखेरूओं के जीवन कर आघात स्वीकार नहीं है। आदर्श स्थिति तो यह हुआ कि झीलों के डाउन स्ट्रीम क्षेत्र में ही फूड मार्केट होने चाहिए । झील किनारों को शोर व लाइट प्रदूषण से मुक्त रखना चाहिए।
गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि प्रशासन को यह नहीं भूलना चाहिए कि फतेहसागर एक पेयजल झील है । इसके आसपास व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ाना नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना है।
युवा पर्यावरणविद कुशल रावल ने कहा कि झीलों के किनारों पर पर्यावरण संवेदनशीलता बढ़ाने वाली गतिविधियों को ही आयोजित करना चाहिए।
वरिष्ठ नागरिक द्रुपद सिंह ने कहा कि झीलों की सुरक्षा के लिए आम नागरिकों को अपनी आवाज मुखर करनी चाहिए।