अनुकम्पा दिवस के तहत गायों को 300 किलो गुड़, दो हजार रोटियां एवं 20 क्विंटल हरा चारा खिलाया
उदयपुर, 2 अक्टूबर। केशवनगर स्थित अरिहंत वाटिका में आत्मोदय वर्षावास में आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. के 7 अक्टूबर को जन्म दिवस के तहत आयोजित सप्त दिवसीय कार्यक्रम की श्रृंखला में बुधवार को अनुकम्पा दिवस के रूप में मनाया।
श्रीसंघ अध्यक्ष इंदर सिंह मेहता ने बताया कि मंत्री पुष्पेन्द्र बड़ाला के नेतृत्व में श्रीसंघ के 25 सदस्यीय दल कलड़वास स्थित शिवशंकर गौशाला एवं बलीचा स्थित पशुपति गौशाला गया। जहां 300 किलो गुड़, दो हजार रोटियां, 20 क्विंटल हरा चारा गायों को अपने हाथों से खिलाया। बुधवार को आयोजित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए हुक्मगच्छाधिपति आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने फरमाया कि उत्तराध्ययन सूत्र के 28वें अध्ययन में प्रभु महावीर ने मोक्ष मार्ग का निरूपण करते हुए दस प्रकार की रूचियाँ बताई हैं जो कि सम्यक्त्व प्राप्ति में सहायक है। सम्पूर्ण संसार, सभी संबंध, सभी संयोग रूचि एवं अभिरूचि की धुरी पर चल रहे हैं। आचार्य रत्न सुंदर जी की उक्ति को उद्धृत करते हुए कहा कि विद्वता जोरदार हो, बुद्धिमता तीक्ष्ण हो, तर्कशक्ति बेमिसाल हो और विचारशक्ति धारदार हो परन्तु मन में रूचि न हो तो ये सब विशेषताएं बेकार है। ये सब विशेषताएं न हो किन्तु मन रूचिशील हो, उत्साहित हो तो मनोवांछितपाया जा सकता है। सभी क्षेत्रों में सफलता मिलती है तो उत्साह एवं कर्मठता से। मन में रूचि हो तो कठिन से कठिन कार्य भी सरलता से पूर्ण हो जाते हैं। उत्साह एवं रूचि के साथ विचारों में, सोच में विराटता रखें तो बड़े-बड़े कार्य सम्पादित किए जा सकते हैं। उपाध्याय श्री जितेश मुनि जी म.सा. ने फरमाया कि आयु दो प्रकार की होती है-क्रमिक और निरूक्रमिक। क्रमिक आयु में बीमारी, दुर्घटना घटित होती है, जबकि निरूक्रमिक में कोई उपक्रम नहीं लगता। तेजो लेश्या, नील लेश्या आदि 6 लेश्या में से जीव जिस लेश्या में मरता है, उसी में उसकी उत्पत्ति होती है। जीवन की सद्गति चाहते है तो महारम्भ, महापरिग्रह एवं 18 पापों से बचें एवं मर्यादित जीवन जियें। हेय, ज्ञेय व उपादेय को जानें इस हेतु जिनवाणी एवं गुरूवाणी शुद्ध अवलम्बन है। श्रद्धेय श्री विनोद मुनि जी म.सा. ने सप्त दिवसीय आयोजन के दूसरे दिन विजय चालीसा का सामूहिक संगान कराया एवं अहिंसामय, तपमय जीवन जीने की प्रेरणा दी।