उदयपुर, 18 जुलाई। श्री वर्धमान गुरू पुष्कर ध्यान केन्द्र के तत्वावधान में दूधिया गणेश जी स्थित स्थानक में चातुर्मास कर रहे महाश्रमण काव्यतीर्थ श्री जिनेन्द्र मुनि जी म.सा. ने शुक्रवार को धर्मसभा में कहा कि आत्मशांति हेतु सत्संग और धर्म-जागृति परम आवश्यक है। मानव जीवन अमूल्य हीरा है, जिससे स्वर्ग और मोक्ष दोनों प्राप्त हो सकते हैं। जीवन में आए है तो अच्छे कर्म, सत्कर्म करते चलो और धर्म-ध्यान करते चलो। हम जितने पुण्य का अर्जन करेंगे उतना ही हमारे कर्मों की निर्जरा भी होती चली जाएगी। आप अच्छा सोचो, अच्छा बोलो, अच्छा व्यवहार करो धीरे-धीरे आप देखेंगे आपमें स्वतः ही परिवर्तन होता चला जाएगा और आसपास का पूरा वातावरण सुखद बनता चला जाएगा। रविन्द्र मुनि जी म.सा. ने कहा कि माता-पिता हमारे प्रथम गुरु होते हैं। उनकी सेवा जीवन की पहली साधना है। शिक्षा गुरु और धर्म गुरु हमारे जीवन के सुदृढ़ स्तंभ हैं। तपस्वी रत्न पूज्य श्री प्रवीण मुनि जी म.सा. ने धर्म संदेश देते हुए सभी को चातुर्मास में अधिकाधिक धर्मलाभ लेने की प्रेरणा दी। केंद्र के अध्यक्ष निर्मल पोखरना ने बताया कि आगामी रविवार को दया एकासन का आयोजन रखा गया है, जिसमें सभी श्रावक-श्राविकाओं की सहभागिता अपेक्षित है। आज लीला देवी मेहता परिवार की ओर से पूज्य तपस्वी भगवंतों का आत्मीय स्वागत किया गया। मीडिया प्रभारी श्री संदीप बोलिया ने बताया कि धर्मसभा में न केवल उदयपुर, बल्कि उपनगरों व निकटवर्ती गांवों से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुँच रहे हैं और गुरुजनों के दिव्य वचनों से लाभान्वित हो रहे हैं। धर्मसभा का संचालन संयमित एवं श्रद्धापूर्ण शैली में प्रवीण पोरवाल ने किया।
मानव जीवन अमूल्य हीरा है, जिससे स्वर्ग और मोक्ष दोनों प्राप्त हो सकते हैं: जिनेन्द्र मुनि
