उदयपुर, 13 अगस्त। श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के तत्वावधान में मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में चातुर्मास कर रहे पंन्यास प्रवर निरागरत्न जी म.सा. ने मंगलवार को धर्मसभा में कहा कि आजकल विश्व में आत्महत्या के केस बहुत बढ़ रहे हैं उसके पीछे लोगों के मन में बंधी हुई लघुता ग्रंथि है। मेरे में कुछ नहीं, मेरे साथ कोई नहीं, इस लघुता ग्रंथि को तोड़ने का रामबाण उपाय है कि आपको चार चीजें मिली है पहला मानव जन्म की प्राप्ति, दूसरा जिनवाणी श्रवण, तीसरा प्रभु वचनों में श्रद्धा और चौथा पुरूषार्थ। व्यक्ति करोड़पति दो तरीके से बन सकता है पहला-मेहनत करके और दूसरा लॉटरी लग के। उसी तरह मानव जन्म भी हमें लॉटरी में मिला है। मानव जन्म प्राप्त करना हो तो दान रूचि होनी बहुत जरूरी है। आप दान घंटा-दो घंटा दे सकते हो पर दान की रूचि तो 24 घंटे रख सकते हो। आप सप्ताह में छह दिन पुण्य उदय में निकालते हो तो एक दिन को पुण्य बंध में निकालो। नया पुण्य किए बिना पुराना पुण्य भुगतना तो बासी खाना खाने जैसा है। पुण्य का उपभोग दो तरीके से हो सकता है पहला केले की तरह वापरने के बाद पूरा हो गया कोई सेविंग नहीं, दूसरा आम की तरह अभी तो उपभोग पर आने वाले भव के लिए नए पुण्य का भी बंध, अभी आम बाद में गुटली के द्वारा और नये आम। आपको मिली हुई इन्द्रियां, ये शक्ति ये सशक्त शरीर, इनको कैसा बनाना ये आप पर निर्भर है। श्रीसंघ अध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र हिरण ने बताया कि आज पंन्यास प्रवर ने दान रूचि पर राजा भोज का दृष्टांत सुनाया व मानव जन्म का कैसे सदुपयोग करना इसकी सारगर्भित व्याख्या की।
मानव जन्म हमें लॉटरी में मिला है : निरागरत्न
