उन्होंने कहा कि भारतीय प्राचीन शास्त्रों में यम, नियम, संयम, प्राणायाम, ध्यान, धारणा, उपासना, समाधि आदि का गूढ़ वर्णन अंकित है। शरीर मुद्रा, शब्द मुद्रा, ज्ञान मुद्रा, अर्थ मुद्रा भी बताई गई हैं। लेकिन, आज के समय में हम शरीर अर्थात् इस मानव जन्म के धर्म के प्रति अज्ञानी हो गए हैं, अर्थ मुद्रा सर्वोपरि हो गई है। उन्होंने कहा कि योग सिर्फ शरीर को स्वस्थ नहीं बनाता, वह मन की गहराइयों को भी शुद्ध और निर्मल बनाता है और जब मनुष्य का मन निर्मल होता है, तब उसके भाव स्वतः शुद्ध हो जाते हैं और वह सात्विकता की राह पर बढ़ते हुए मनुष्य जीवन की सार्थकता को सिद्ध करता है।
कार्यक्रम के दौरान उत्तम स्वामी ने पंचतत्व ध्यान योग का अभ्यास सभी उपस्थित जन को करवाया।
समारोह के मुख्य अतिथि अतिरिक्त आयुक्त, आयकर विभाग उदयपुर के चेतराम मीना थे।
इससे पूर्व, कार्यक्रम के आरंभ में योग शिक्षक श्रीवर्द्धन ने योग प्रशिक्षण एवं चिकित्सा शिविर के बारे मे बताया की इस बार इस शिविर में 21 शिक्षकों ने सहभागिता की जिससे हर प्रतिभागी पर विशेष ध्यान दिया गया।
न्यास के सचिव पंकज पालीवाल ने न्यास के सेवा कार्यों की जानकारी देते हुए बताया कि शीघ्र ही न्यास की ओर से घुमन्तु समुदाय के बच्चों के लिए छात्रावास भी शुरू किया जा रहा है।
कार्यक्रम में न्यास के अध्यक्ष हेमेन्द्र श्रीमाली, उद्योगपति गोविन्द अग्रवाल आदि उपस्थित थे। शिविर के प्रतिभागियों में से कन्हैया लाल शर्मा, कल्पना पालीवाल एवं अन्य ने योग व मुद्रा चिकित्सा से उन्हें हुए लाभ के अनुभव बताएं।
सात दिवसीय शिविर में शिक्षक के रूप में अपनी सहभागिता देने वाले प्रभात आमेटा, हरिशंकर, उमेश श्रीमाली, भव्या यादव, पुष्पदीप प्रजापत, धारा गुप्ता, तरुणा वैष्णव सहित 21 शिक्षकों का सम्मान किया गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ भारत भूषण ओझा ने किया, सात दिवसीय आरोग्यम शिविर में डॉ. कौशल शर्मा, नरेश यादव, विकास छाजेड़, रविकांत त्रिपाठी, प्रदीप चौबीसा, कपिल चित्तोड़ा, विष्णु मेनारिया आदि ने प्रबंधक के रूप में अपनी सेवाएं दी ।