उदयपुर, 10 नवम्बर। प्रदेश में धीर-धीरे सर्दी बढ़ने व वर्तमान में दिन व रात्रि के तापक्रम में आ रहे परिवर्तन से पशुओं के स्वास्थ्य एवं उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव रहना तथा पशु स्वास्थ्य संरक्षण के दृष्टिगत् रोगों की रोकथाम व अन्य सुरक्षात्मक उपाय एवं उचित प्रबंधन हेतु पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. आनन्द सेजरा ने राज्य के समस्त अधिकारियों को निर्देश प्रसारित किये हैं।
पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान के उपनिदेशक डॉ. सुरेन्द्र छंगाणी ने बताया कि जारी निर्देशों के अनुसार शीत ऋतु में होने वाले रोगों से पशुधन के बचाव हेतु विभागीय अधिकारी/कर्मचारीयों को तत्पर सक्रिय एवं संवेदी रहते हुए विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त पशु रोग संबंधित सूचनाओं पर त्वरित रोग नियंत्रण एवं रोग निदान कार्य सम्पन्न कराए जाएं। आवश्यक टीकों एवं औषधियों की पशु चिकित्सा संस्थाओं में उपलब्धता सुनिश्चित कीजाए। अतः संक्रामक रोगों की रोकथाम हेतु एन्डेमिक क्षेत्रानुसार आवश्यक टीकाकरण समयबद्ध कराया जाये तथा पशुपालकों को इन रोगों से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक बनाया जावे। पशुओं के शीत आघात (कोल्ड वेव) से सुरक्षित रखे जाने हेतु पशु आवासों, पशु गृहों एवं पशु बाड़ों में समुचित व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने हेतु पशुपालकों को अवगत कराया जाये। पशुओं को सर्दी के मौसम में गुणवत्तापूर्ण हरा वसा युक्त पौष्टिक संतुलित आहार उपलब्ध कराने हेतु पशुपालकों को प्रेरित किया जावे। गौशालाओं में संधारित पशुधन का सामयिक एवं नियमित स्वास्थ्य परीक्षण निकटवर्ती पशु चिकित्सक से करवाया जाये। ऊंटों में श्वसन तंत्र संबंधी बीमारियां पाई गई थी अतः उष्ट्र सम्पदा की स्वास्थ्य रक्षा हेतु विशेष निगरानी रखी जाये। पशु रोग प्रकोप की सूचना प्राप्त होने की स्थिति में प्रभावित क्षेत्र में रोग सर्वेक्षण निदान उपचार एवं नियंत्रण की कार्यवाही सम्पादित करवाये जाने की समस्त कार्यवाही संबंधित जिला संयुक्त निदेशक करेंगे।
