उदयपुर। सिंधी समाज के वैकुण्ठ धाम के परम पूजनीय बाबा श्री संत कुमार महाराज साहब की वर्सी (प्रथम पुण्यतिथि ) के अवसर पर एक भव्य धार्मिक समारोह का आयोजन किया गया। इस पावन अवसर पर समाज के विभिन्न वर्गों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और बाबा के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित की। तीन दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ 12 जून, बुधवार को शक्ति नगर स्थित श्री बिलोचिस्तान भवन में स्वास्तिक पूजन से आरम्भ हुआ।
सेवादार पाठी देवराज माटा ने बताया कि गुरुग्रंथ साहिब की वाणी के साथ इस धार्मिक आयोजन की शोभा और भी बढ़ गई। “सो दरु केहा सो घरु केहा जितु बैठे सारा” (आसा महला १) की मंगल ध्वनि से वातावरण भक्तिमय हो गया।
वैकुण्ठ धाम के गुरुजी शैलेश संत कुमार ब्रिजवानी ने बताया कि 14 जून को सुबह 9:00 बजे से “आसादीवार” का आयोजन हुआ, जिसमें “सतगुरु साचा पातशाहु” (आसा दी वार) के शब्दों से भक्तजन मंत्रमुग्ध हो गए। शब्द कीर्तन और आरती के साथ इस आयोजन को और भी भव्य बना दिया गया, इसके बाद 11:00 बजे श्री पाठ साहिब का प्रारंभ हुआ, जिसमें भक्तों ने दिल से हिस्सा लिया और बाबा के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की। “एक ओंकार सतनाम करता पुरख” (जपजी साहिब) की वाणी से सभी श्रद्धालु भावविभोर हो गए।
सेवादार ओमप्रकाश धर्मशालानी और ओमप्रकाश गुरार्नी ने बताया कि आरती के बाद, भाई महेंद्र सिंह जी (उदयपुर वाले) और भाई सनी मूलचंदानी (नवसारी वाले) द्वारा भव्य कीर्तन का आयोजन हुआ। इस कीर्तन में “वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह”की गूंज से माहौल पवित्र हो उठा।
पूज्य बिलोचिस्तान पंचायत के अध्यक्ष नानक राम कस्तूरी और महासचिव विजय आहुजा व पंचायत पदाधिकारियों का शॉल ओढ़ाकर कार्यक्रम व्यवस्था के लिए धन्यवाद किया गया। कार्यक्रम में सिन्धी पंचायतों व युवा संगठन के पदाधिकारी व समाजजन ने हिस्सा लिया और बाबा की महिमा का गुणगान किया। गुरुजी ने आगे बताया कि यह आयोजन 14 जून, शुक्रवार को प्रातः 8:00 बजे से “रागमाला” के साथ श्री पाठ साहिब के भोग से सम्पन्न हुआ। इसके बाद आरती, अरदास और लंगर साहिब के साथ इस धार्मिक समारोह का समापन हुआ।
वैकुण्ठ धाम के सेवादार प्रेमकुमार गखरेजा ने बताया कि इस प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर गुरुग्रंथ साहिब के तीन अखण्ड पाठ का आयोजन किया गया, जिसमें सिंधी समाज के सभी भक्तगण और समाजजन ने श्रद्धा के साथ भाग लिया। **“तू ठाकुर तुम पे अर्धास”** (श्री राग महला ५) की पंक्तियों के साथ अरदास की गई और कार्यक्रम शुक्रवार को दोपहर में लंगर प्रसाद के साथ समापन हुआ, जिसमें सभी साधक व समाजजन शामिल हुए।