जनजातीय गौरव दिवस का भव्य आयोजन

उदयपुर, 15 नवंबर। भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण, पश्चिमी क्षेत्रीय केंद्र, उदयपुर द्वारा शनिवार को “जनजातीय गौरव दिवस” बड़े उत्साह, गरिमा एवं सांस्कृतिक समृद्धि के साथ मनाया गया। इस अवसर पर जनजातीय समाज के ऐतिहासिक योगदान, सांस्कृतिक विरासत तथा स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नेताओं की भूमिका को विशेष रूप से रेखांकित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 10:30 बजे अतिथियों के स्वागत एवं पुष्पाभिनंदन से हुआ, जिसके पश्चात कार्यालय प्रमुख श्री निलांजन खटुआ ने स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया।

भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण की एक टीम द्वारा निर्मित डॉक्यूमेंट्री “जनजातीय गौरव दिवस : एक नायक की कहानी” का प्रदर्शन किया गया, जिसमें जनजातीय सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन, उनकी विरासत तथा ऐतिहासिक योगदान को प्रभावशाली ढंग से प्रदर्शित किया गया।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा विशेष अतिथि व्याख्यान, जिसमें डॉ. कुलशेखर व्यास तथा सुश्री उषा देवेंद्र ने “भारत के विकास में जनजातीय समुदायों की भूमिका” विषय पर सारगर्भित विचार व्यक्त किए। डॉ. कुलशेखर व्यास ने जनजातीय समुदायों के संघर्षों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस प्रकार धरती आबा बिरसा मुंडा ने उलगुलान आंदोलन के माध्यम से धरती, जल और जंगल की रक्षा के लिए असाधारण नेतृत्व दिया। उन्होंने कम उम्र में ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण प्रयासों का भी सशक्त विरोध किया और जनजातीय अधिकारों की रक्षा का मार्ग प्रशस्त किया। सुश्री उषा देवेंद्र ने जनजातीय गौरव दिवस मनाने के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए बताया कि बिरसा मुंडा को भगवान के रूप में क्यों माना जाता है। उन्होंने सामाजिक बुराइयों से दूर रहने और समाज में जागरूकता बढ़ाने पर बल दिया। दोनों वक्ताओं ने जनजातीय समुदायों के ज्ञान, परंपरा, जीवनशैली और राष्ट्रीय आंदोलन में उनके अमूल्य योगदान का विस्तृत विवेचन किया।

इसके बाद भारतीय लोक कला मंडल, उदयपुर द्वारा प्रस्तुत कठपुतली नाट्य “स्वतंत्रता आंदोलन में स्व. कालीबाई का योगदान” का प्रेरक एवं प्रभावशाली मंचन किया गया, जिसे उपस्थित दर्शकों ने अत्यंत सराहना दी।

कार्यक्रम के समापन चरण में वोट ऑफ थैंक्स एवं समापन उद्बोधन श्री अजय चौधरी द्वारा प्रस्तुत किया गया। इसके उपरांत हैप्पी होम स्कूल तथा राजकीय सिंधी उच्च माध्यमिक विद्यालय, प्रताप नगर, उदयपुर से आए विद्यार्थी को संग्रहालय भ्रमण कराया गया, जहाँ जनजातीय संस्कृति, कलाकृतियों तथा प्रदर्शनियों के माध्यम से भारतीय जनजातीय जीवन की विविधता को समझने का अवसर मिला।

By Udaipurviews

Related Posts

error: Content is protected !!