परमात्मा तीन भुवन में तिलक के समान है  : साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री  

– आयड़ जैन तीर्थ में चातुर्मासिक प्रवचन की धूम जारी  
उदयपुर 03 अक्टूबर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में मंगलवार को चातुर्मासिक मांगलिक प्रवचन हुए। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।  जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने  बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने आज परमात्मा के नौ अंग की पूजा के क्रम मँ भाल (कपाल ) के महत्व में बताया कि पूजा तीर्थकर नाम कर्म के पुण्य से तीन भुवन के लोग प्रभु की सेवा करते है। भगवान मध्य इस प्रकार तीन भुवन पर तिलक के समान है। जैसे भाल पर तिलक शोभा देता है, उसी प्रकार तीन भुवन में विशिष्ट किसी का पुण्य अगर है तो वह केवल तीर्थकर का है। तीन भुषन में शोभा देने वाला कोई है तो वह तीर्थंकर है। इसलिए वे तीन में तिलक समान है। भाल (कपाल) पर तिलक यानि पूजा करते समय यह चिंतन करें कि मैं भी भाल पर तिलक करके आपकी जय हो, विजय हो ऐसी भावना करता हूँ। ऐसे सुन्दर भाव से तीर्थकर पद स्वरूप तीर्थकर नामकर्म की अनुमोदना से ऐसी भवितव्यता हो तो मुझे भी तीर्थकर नाम कर्म का बंधन हो । आगे उन्होंने बताया कि जिनेश्वर परमात्मा की प्रतिमा का दर्शन-वन्दन-पूजन वगैरह दर्शन के गुण आलंबन है। बहुत ही श्रद्धा – और भक्ति भावना पूर्वक हमें परमात्मा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। श्रद्धा पूर्वक की गई प्रभु भक्ति ही हमें इच्छित को देने वाली होती है। चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।

By Udaipurviews

Related Posts

error: Content is protected !!