गांधी के दर्शन आज भी प्रारंसगिक – कर्नल प्रो.सारंगदेवोत

उदयपुर 02 अक्टुबर / गांधी के दर्शन पहले भी प्रासंगिक थे आज भी है और आगे भी रहेंगे। बापू ने अहिंसा से दुनिया को नई राह दिखाई।  जिसने मानवता , सत्य, अहिंसा को इस रूप में जिया की वो राष्ट्र ही नही वरन अंतरराष्ट्रीय मानस पटल पर अनंत काल का पथ प्रदर्शक बने रहेंगे। गाँधी एक ऐसी विचार धारा है जो हमें छोटे छोटे संकल्पों से महानतम में बदलने का सामर्थ्य रखती है। हमें इन श्रेष्ठत्तम विचारों  सत्य, मानव प्रेम, दीन प्रेम और पिछड़ों की सेवा से प्रभु प्राप्ति का मार्ग दिखती है का अनुसरण करके स्वयं और  दूसरों का उत्थान करना होगा। मानव जाति का विराट चिंतन का सर्वोत्तम बिंदु तभी प्राप्त किया जा सकता है जब हम स्वयं को शून्य पर ले आए और इस परम शून्य की प्राप्ति के लिए हमें आत्म सम्मान के त्याग के साथ-साथ विकार और विकृतियों का दमन करने करते हुए उच्च विचारों का दान करना होगा। इन्द्रियों के शोधन के साथ ही प्रेम की मूल भावना को अंगीकर करना होगा।
उक्त विचार सोमवार को गांधी जयंती एंव पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयती पर जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के कुलपति सचिवालय में अहिंसा – गांधी दर्शन विषय पर आयोजित संगोष्ठी में कुलपति प्रो.एस. एस.सारंगदेवोत ने बतौर अध्यक्षीय उद्बोधन में कही। गांधी के दर्शन पर बात करते हुए सारंगदेवोत ने उनके दर्शन की महाभारत कालीन विचारधारा और वैदिक युग की सोच के साथ-साथ वर्तमान समय में वैज्ञानिक विचारधाराओं और उन्नति के साथ अधूरे रेखांकित किया तथा यह बताया कि जहां एक ओर मानसिक स्वच्छता सरलता ब्रह्मचर्य अहिंसा हमारे उत्थान का मार्ग प्रशस्त करती है वही मनसा वाचा कर्मणा से हिंसा के द्वारा उत्पन्न होने वाली पीड़ा हमारे वातावरण को ऊष्मा रूपी असंतुलन से जोड़ती है जो कि हमारे वैचारिक वातावरण के साथ-साथ पारिस्थिति की वातावरण को भी असंतुलन की स्थिति में ला देती है अतः यह कहना और जानना होगा कि गांधी के विचारधारा ना मात्र केवल वैचारिक विचारधारा है जो कि हमारे जीवन से संबंधित है अभी तो इतनी विस्तृत और व्यापक विचारधारा और दर्शन है जो की मानसिक और सामाजिक सीमाओं से परे प्राकृतिक और पर्यावरणीय परिस्थितियों में भी अपने प्रभाव छोड़ने में सक्षम है। गांधी का जीवन दर्शन व्यक्ति से प्रारंभ होकर परिवार व समाज के रास्ते से राष्ट्र के रूप में प्रतिबिंबित होता है। जहां पर यह पुनः सभी को विश्व बंधुत्व अहिंसा और प्रेम की बात से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि अहिंसा की पवित्र भावना ही किसी राष्ट्र की उन्नति और उसके सनातन मूल्य के पोषण  का आधार बनती है। गांधी जी ने अहिंसा परमों धर्म का संदेश दिया जिनके अनुसार अहिंसा से बढ़ कर कोई धर्म नहीं हो सकता,  गाँधी के विचारों की ही सार्थक है कि आज भारत ही नही पूरा विश्व उनके विचारों को मन से अपना रहा है और जीवन मे प्रेम और सहानुभूति के संस्कारों को अपने जेव्वन मूल्यों से जोड़ रहा है है। अहिंसा, परमश्रेष्ठ, मानव धर्म बनाता है आत्म सम्मान छोडकर हमें छोटी छोटी बातों पर ध्यान नहीं देना है, अहिंसा, समाज व राष्ट्र हर व्यक्ति लिए आवश्यक है। इसलिए हमें गांधी के मुल्यों को अपनाना है।    परमधर्म मानव धर्म बनाता है।  सब कुछ सत्य में ही प्रर्तििष्ठत होता है।
अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के मौके पर डॉ महेंद्र वर्मा तथा उनके टीम द्वारा गांधी जी के प्रिय भजन ‘‘ वैष्णव जान तो तेने कहिये‘‘, ‘‘साबरमती के संत तथा रघुपति राघव …‘‘ भजनों की प्रस्तुति दी गई।
प्राचार्य प्रो सरोज गर्ग, रजिस्ट्रार डॉ. तरूण श्रीमाली ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गांधी के अहिंसा के सिद्वांतों अपने जीवन में उतारेंगे तो कभी असफल नहीं होंगे। उन्होंने अखण्ड भारत का सपना देखा जिसे उन्होंने परिणिति भी दी। सकारात्मक विचारों और विपरीत परिस्थितियों में भी सकारात्मक विचारों के साथ किए गए चिंतन के प्रभावों और किसी की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझ कर प्रेम भावना से मानव जाति के सेवा की।
संचालन डॉ हरीश चौबीसा ने किया, आभार डॉ. तरूण श्रीमाली ने दिया।
इस मौके पर डॉ. सरोज गर्ग, डॉ. अमी राठौड, डॉ. रचना राठौड़, डॉ. सुनिता मुर्डिया, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. भवानीपाल सिंह राठौड़,  डॉ. अमित बाहेती, भगवती लाल सोनी, डॉ. हेमंत साहू, प्यारे लाल नागदा, डॉ. अनिता कोठारी,  डॉ. रोहित कुमावत, डॉ.  हिम्मत सिंह, डॉ. सुभाष पुरोहित, डॉ. इंदू आचार्य, डॉ. ममता कुमावत सहित कार्यकर्ताओं ने पुष्पांजलि अर्पित कर बापू को नमन किया।

By Udaipurviews

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