दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में “कार्यरत महिलाएं और कल्याण: नीतियों, अधिकारों और कल्याणकारी पहलों का अन्वेषण” पर हुई चर्चा
उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा ने कहा कि “महिलाओं का सशक्तिकरण सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक जरूरत है। जब महिलाएं सशक्त होंगी, तभी समाज और राष्ट्र प्रगति करेगा।”
कुलपति प्रो. मिश्रा मंगलवार को डिपार्टमेंट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी एवं डिजाइनिंग, एकेडमी ऑफ वेल बीइंग सोसाइटी, उदयपुर, स्वामी विवेकानंद बालिका शिक्षा प्रचार समिति, जयपुर, नॉलेज हब ग्लोबल इंडिया, आस्था महाविद्यालय इटावा, कोटा और रेड रिबन क्लब, एमएलएसयू के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी-सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थीं।
प्रो. मिश्रा ने कहा कि वर्तमान समय महिलाओं के लिए चुनौतियों से भरा हुआ है, लेकिन कठिनाइयों में अवसर ढूंढने की क्षमता ही भारत की दृढ़ता का परिचय देती है। उन्होंने कहा, “महिलाओं के कार्य करने से न केवल परिवार बल्कि समाज की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।” भारतीय संविधान में महिलाओं को कार्य करने का अधिकार और समानता प्रदान की गई है, जिसे सभी को सम्मान देना चाहिए।
कांफ्रेंस चेयरपर्सन प्रो. विजयलक्ष्मी चौहान ने कहा कि महिलाएं अपनी मेहनत और लगन से विश्व पटल पर अपनी पहचान बना रही हैं। उन्होंने घर और बाहर दोनों क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं का विकास किया है। विशिष्ट अतिथि प्रो. दिग्विजय भटनागर ने जीवन के संघर्ष और अनुभव साझा किए। राजस्थान महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष प्रो. लाड कुमारी जैन ने महिलाओं की भूमिका, कार्य क्षेत्र से जुड़े विभ्भिन्न मुद्दों पर अपने विचार रखे।
आयोजन सचिव डॉ. डॉली मोगरा ने बताया कि इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा और जर्मनी के शिक्षाविद, विश्वविद्यालयों के संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी भाग ले रहे हैं। संगोष्ठी समन्वयक डॉ. श्वेता शर्मा, ने कहा कि यह सम्मेलन कार्यरत महिलाओं के लिए नई राहें खोलेगा और उनके अधिकारों और कल्याण को सशक्त बनाने में सहायक सिद्ध होगा।
द्वितीय सत्र का संचालन डॉ. कुंजन आचार्य ने किया। इस सत्र में डीवाईएसपी चेतना भाटी ने महिलाओं को इंटरनेट के माध्यम से हो रहे अपराधों और उनके बचाव के उपाय बताए। सत्र की अध्यक्षता कर रहे जनक सिंह मीणा ने महिलाओं के भावनात्मक होने और उसके साथ साहसी होने के बारे में चर्चा की। विशिष्ट अतिथि एसोसिएट डीन, लॉ कॉलेज प्रो. राजश्री चौहान ने महिलाओं के कानूनी अधिकारों पर चर्चा की। डॉ. सीमा त्यागी (बीकानेर) और स्नेहलता पवार (अजमेर) ने भी कार्यस्थल और मैनेजमेंट विषय पर महिलाओं की कौशल क्षमता पर बात की। यूएई से जुड़ी अस्मिता सिंघवी ने कहा कि महिलाओं को कार्यस्थल पर परफेक्शन के दबाव से बाहर आना चाहिए।
सम्मेलन में आए वक्ताओं ने महिलाओं के कल्याण, सशक्तिकरण और उनके अधिकारों को मजबूत बनाने पर जोर दिया। यह संगोष्ठी कामकाजी महिलाओं के लिए एक प्रेरणादायक मंच साबित हुई। शिकागो से आयी वंदना चतुर्वेदी ने भी भारत और विदेश में कार्य करने के अंतर को स्वयं के उदाहरण द्वारा समझाया। कार्यक्रम में १०० से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
महिलाओं का सशक्तिकरण सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक जरूरत है: प्रो सुनीता मिश्रा
