भारतीय मूल्य और आधुनिक विज्ञान का संतुलन ही सच्ची शिक्षा का स्वरूप – प्रो. पंकज अरोड़ा
विद्यापीठ नई शिक्षा नीति 2020 की भावना का जीवंत उदाहरण – प्रो. अरोड़ा
दीक्षांत – ज्ञान से संस्कार और जिम्मेदारी की यात्रा – प्रो. सारंगदेवोत
सत्य, सेवा और संयम – सारंगदेवोत की युवा पीढ़ी के लिए सीख – प्रो. सारंगदेवोत
विद्यापीठ – भव्य 21वां दीक्षांत समारोह का हुआ आयोजन,
– एनसीटीई के अध्यक्ष प्रा. पंकज अरोड़ा को डीलिट की उपाधि से नवाजा
– 120 विद्यावाचस्पति में से 80 बेटियों को, 48 स्वण पदकों में 34 बेटियों के नाम रहे ।
उदयपुर 13 नवंबर। राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय का 21वां दीक्षांत समारोह गुरूवार को प्रतापनगर स्थित महाराणा प्रताप खेल मेदान पर आयोजित किया गया। समारोह का शुभारंभ मुख्यएनसीटीई नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. पंकज अरोड़ा, कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत, विशिष्ठ अतिथि भक्त कवि नरसिंह मेहता विवि जुनागढ़ गुजरात के कुलपति प्रो. प्रतापसिंह चौहान, राज्यपाल सलाहकार ( उच्च शिक्षा ) प्रो. कैलाश सोडाणी, समारोह अध्यक्ष, कुल प्रमुख एवं कुलाधिपति भंवर लाल गुर्जर, रजिस्ट्रार डॉ. तरूण श्रीमाली, परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन ने पांच पंडितों के वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्जवलित कर किया।
छह हजार विद्यार्थियोें की मौजुदगी में एनसीटीई के अध्यक्ष प्रो. पंकज अरोड़ा को डीलिट की उपाधि से नवाजा गया। समारोह में अतिथियों ने 120 पीएचडी धारको को उपाधियॉ तथा वर्ष 2024-25 में स्नातक तथा स्नातकोत्तर परीक्षाओं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले 48 विद्यार्थियों को उपाधि एवं स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। 80 पीएचडी उपाधियॉ एवं 34 गोल्ड मेडल बेटियों के नाम रहे।
अपने उद्बोधन में प्रो. पंकज अरोड़ा ने विद्यार्थियों और युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कहा कि भारत को अब नौकरी खोजने वालों की नहीं, बल्कि अवसर सृजन करने वाले युवाओं की आवश्यकता है। उन्होंने विद्यार्थियों से तीन संकल्प अपनाने का आह्वान किया – चरित्र, जो ज्ञान से श्रेष्ठ है – नवाचार, जो भय से मुक्त होकर नए विचारों को जन्म देता है और समाज सेवा, जो हर कार्य को जनहित से जोड़ती है। उन्होंने कहा कि सच्ची शिक्षा वही है जो व्यक्ति को सक्षम होने के साथ-साथ संवेदनशील बनाए। “जब तकनीक में मानवीय संवेदना जुड़ती है तभी वह कल्याणकारी बनती है,” उन्होंने कहा। युवाओं से उन्होंने
टेक्नोलॉजी ऑफ भारत की भावना से कार्य करने का आह्वान किया, ताकि गाँवों और वंचित समुदायों तक ज्ञान और तकनीक की रोशनी पहुँच सके।
उन्होंने युवाओं से कहा कि वे असफलताओं को खुले मन से स्वीकार करें, चुनौतियों से भागें नहीं, बल्कि समाधान की दिशा में आगे बढ़ें। सोशल मीडिया के प्रभाव और मानसिक तनाव के बढ़ते दायरे पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने विवेकपूर्ण चिंतन, मूल्य आधारित शिक्षा और भारतीय संस्कारों से जुड़ाव को मानसिक स्वास्थ्य तथा समाज के सकारात्मक निर्माण का आधार बताया।
प्रो. अरोड़ा ने कहा कि विद्यार्थियों से स्वामी विवेकानंद के आदर्शों के अनुरूप अपने जीवन को श्रेष्ठता की ओर ले जाने का आह्वान किया और तकनीकी प्रगति के इस युग में भारतीय मूल्य और आधुनिक विज्ञान का संतुलन ही सच्ची शिक्षा का स्वरूप है।शिक्षा राष्ट्र प्रगति की नींव है।
प्रो. अरोड़ा ने विद्यापीठ को रेखांकित करते हुए कहा संस्था द्वारा शिक्षा संबंधी कार्य नई शिक्षा नीति 2020 की भावनाओं से पूर्णतः मेल खाता है। नई नीति में समग्र, लचीली और बहुविषयक शिक्षा प्रणाली के माध्यम से विद्यार्थियों को जीवनोन्मुख बनाने, आलोचनात्मक चिंतन विकसित करने और भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की जो परिकल्पना है, वही विद्यापीठ की मूल भावना है।यह तैयार किए जा रहे शिक्षक शैक्षणिक योग्यता के साथ संस्कृति मूल्यों के साथ सामाजिक रूप से भी संवेदनशील है।ये शिक्षक शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
प्रारंभ में कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने दीक्षांत समारोह में नवदीक्षित स्नातकों को संबोधित करते हुए कहा कि यह भारतीय शिक्षा परंपरा का वह विशेष क्षण है जब ज्ञान संस्कार में बदलता है। उन्होंने बताया कि दीक्षांत केवल प्रमाण पत्र नहीं, बल्कि गुरु के आशीर्वाद और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का प्रतीक है। यह समारोह विद्यार्थियों को शिष्य से नागरिक और साधक से कर्मयोगी बनने का मार्ग दिखाता है, और शिक्षा का उद्देश्य केवल शिक्षा अर्जन नहीं, बल्कि अर्पण होना चाहिए।
कुलपति ने नवदीक्षितों को बताया कि शिक्षा केवल कौशल हासिल करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह चरित्र निर्माण, समाज सेवा और मानवता में सक्रिय योगदान का अवसर है। उन्होंने स्नातकों से कहा कि उन्हें सत्य, सेवा और संयम के स्तंभों पर आधारित जीवन जीना चाहिए, अपने निर्णय स्वयं लेने चाहिए और संकल्प के बल पर ज्ञान के माध्यम से विश्व को श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने अपने उद्बोधन में संस्था की वार्षिक प्रतिवेदन के माध्यम विद्यापीठ की उपलब्धि और प्रगति को साझा करते हुए इसका श्रेय विद्यार्थियों कार्यकर्ताओं को समर्पित किया।
अध्यक्षता करते हुए कुल प्रमुख एवं कुलाधिपति भंवर लाल गुर्जर ने शिक्षा के स्तर, देश की आत्मशक्ति, कर्तव्यबोध, जमीनी जुड़ाव और उत्तरदाई नागरिक निर्माण पर विचार रखे।
,विशिष्ठ अतिथि कुलपति प्रो. प्रतापसिंह चौहान ने नव दीक्षितों के लिए कौशल वैश्विक बाजार की आवश्यकता और श्रम युक्त होकर भाभी जीवन में आगे बढ़ाने के विषय पर विचार साझा किए प्रो. कैलाश सोडाणी ने उच्च शिक्षा, साइबर जागरूकता,स्वदेशी विषय पर विचार व्यक्त किए।
समारोह की शुरुआत अकादमी काउंसिल का प्रोसेशन एवं एनसीसी कैडेट्स के गार्ड ऑफ ओनर हुई।
निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत ने बताया कि इस अवसर पर विद्या प्रचारिणी सभा भूपाल नोबल्स संस्थान के मंत्री प्रो. महेन्द्र सिंह आगरिया, प्रबंध निदेशक डॉ. मोहब्बत सिंह रूपाखेडी, वित्त मंत्री शक्ति सिंह कारोही, संयुक्त सचिव राजेन्द्र सिंह, सदस्य नवल सिंह जुड, प्रो. रेणु राठौड, डॉ. युवराज सिंह राठौड, पीठ स्थविर डॉ. कौशल नागदा, प्रो. रितु तोमर, डॉ. अपर्णा शर्मा, प्रो. पीएस रावलोत, विक्रम सिंह देवडा, डॉ. रश्मि बोहरा, लक्ष्मण सिंह कर्णावट सहित विद्यापीठ के डीन, डायरेक्टर एवं शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
