– झूठे आंकड़े दिखाकर अफ़सर लुट रहे वाहवाई
– स्वच्छता की जमीनी हकीकत में बिखरता सिस्टम
जुगल कलाल
डूंगरपुर, 15 जून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे बड़ा सपना है स्वच्छ भारत बनाना। इसी लक्ष्य को लेकर केंद्र सरकार द्वारा ‘स्वच्छ भारत मिशन’ चलाया जा रहा है, लेकिन डूंगरपुर जिले के बिछीवाड़ा ब्लॉक में यह अभियान जमीनी स्तर पर दम तोड़ता दिख रहा है। यहां अधिकारी केंद्र और राज्य सरकार की मंशा को नज़रअंदाज करते हुए सिर्फ कागजी कार्रवाई में ही सफाई का काम दिखा रहे हैं। स्थानीय अधिकारी राज्य और केंद्र सरकार को गांवों की सफाई को लेकर भ्रामक व झूठे आंकड़े भेज रहे हैं। जबकि असलियत यह है कि गांवों में गंदगी का ढेर है, कचरा जलाया जा रहा है और कोई निगरानी नहीं हो रही।
कचरा केंद्र बना शोपीस : पंजाब केसरी की टीम ने जब स्वच्छ भारत मिशन की जमीनी पड़ताल की तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई। ग्राम पंचायत कनबा द्वारा नवलश्याम गांव रोड पर कचरा संग्रहण केंद्र बनाया गया है, लेकिन इसका उपयोग ही नहीं हो रहा। अधिकारियों को इसकी जानकारी तक नहीं है। ठेकेदारों ने सारा कचरा केंद्र के बाहर फेंक दिया और कई बार उसमें आग भी लगा दी जाती है, जिससे निकलने वाली जहरीली गैस से लोगों का स्वास्थ्य खतरे में है। गांव के निवासी सुरमाल ने बताया कि कचरा नियमित रूप से सड़क किनारे डाला जाता है। कई बार ग्राम पंचायत और अधिकारियों से इसकी शिकायत की गई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। यह लापरवाही ग्रामीणों के लिए रोज़ की मुसीबत बन गई है।
छापी गांव में शौचालय बिना नल, सीट और टंकी के बना दिया गया : छापी गांव में बने सामुदायिक शौचालय की स्थिति और भी खराब है। यह शौचालय एक ऐसे स्थान पर बनाया गया है जहां आसपास कोई आबादी ही नहीं है। महिला शौचालय में न तो टॉयलेट सीट है, न टंकी और न ही पानी की कोई सुविधा। शौचालय की पूरी इमारत झाड़ियों से घिरी हुई है और अंदर गंदगी पसरी हुई है। यह स्थिति दर्शाती है कि शौचालय का निर्माण सिर्फ बजट खर्च करने के लिए किया गया और उपयोग या सफाई की किसी को कोई चिंता नहीं है। इस तरह चुंडावाडा गांव में पंचायत भवन के ठीक सामने ही कचरे का ढेर लगा हुआ मिला। गांव बिछीवाड़ा, करौली, माडा सहित
पंजाब केसरी ने जब बिछीवाड़ा ब्लॉक के 10 गांवों में पड़ताल की तो लगभग सभी गांवों में एक जैसी स्थिति सामने आई। शौचालय अनुपयोगी, कचरा खुले में और सफाई व्यवस्था नदारद — यही मिशन की असल सच्चाई है।
5 से 7 लाख का टेंडर, फिर भी साफ-सफाई नदारद : हर ग्राम पंचायत को स्वच्छता के लिए 5 से 7 लाख रुपये के टेंडर दिए जाते हैं। इन टेंडरों में गांव की नालियों की सफाई, गीला-सूखा कचरा घर-घर से उठाना और सरकारी भवनों की सफाई शामिल है। लेकिन इन नियमों को ताक पर रखकर अधिकारी ठेकेदारों को खुली छूट दे रहे हैं। उनकी लापरवाही से प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना को पलीता लगाया जा रहा है। जनता के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है और गांवों को गंदगी के हवाले छोड़ दिया गया है।
इस मामले में बिछीवाड़ा पंचायत समिति के विकास अधिकारी महेश आहारी का कहना है कि, सफाई के लिए टेंडर कर दिया गए। फिर अगर सफाई नहीं हो रही है तो गलत है ठेकदार और पंचायत बॉडी को पाबंद किया जाएगा और सफाई करवाई जाएगी।