उदयपुर में भी संभव है ड्रेगन फ्रूट की खेती

आदिवासी क्षेत्र के युवक चिराग ने तीन साल पहले 200 पेड़ों से शुरू की थी शुरूआत, अब बदली किस्मत
उदयपुर,12 अगस्त(ब्यूरो):परम्परागत खेती में पिता को दिन में कई घंटों तक मेहनत करते देखने के बाद परिणाम बेहतर नहीं मिलने के बाद उदयपुर के आदिवासी इलाके खेरवाड़ा क्षेत्र के एक किसान के बेटे चिराग की सोच अब अन्य किसानों के लिए नजीर बन गई है। उसने तीन साल पहले कुछ नया करने की ठानी और अपनी मेहनत और शिक्षा के चलते सफलता हांसिल की। अब वह आदिवासी क्षेत्र में ड्रेगन फ्रूट की फसल ले रहा है और मशरूम, सेब, कटहल तथा अन्य फसल के लिए काम में जुटा है। उसकी देखा—देखी अब क्षेत्र के अन्य किसान भी उसके यहां सीखकर अपनी भी किस्मत बदलने की कोशिश में जुटे हैं।
हम बात कर रहे हैं, उदयपुर जिले के आदिवासी क्षेत्र खेरवाड़ा के छोटे से गांव फेरा फलां गांव की। जहां हेमचंद्र फेरा परम्परागत खेती करते आ रहे थे। कॉलेज की शिक्षा पूरी करने के बाद गांव में लौटा उनका बेटा चिराग फेरा देखता था कि उसके पिता हर दिन कई घंटे खेतों में काम करते लेकिन उनके परिवार की किस्मत नहीं बदल पा रही। माता—पिता की दिन रात मेहनत के बाद भी उतनी फसल मिल पाती, जिससे उनके परिवार का बमुश्किल भरण—पोषण हो पाता। पढ़े—लिखे चिराग को यह बात टीसती थी। उसका कहना था कि अच्छी फसल नहीं मिल पाने से ज्यादातर किसानों ने खेती—बारी छोड़ दी और मजदूरी करने लगे थे। तब उसने कुछ नया करने की ठानी ताकि उसके परिवार की किस्मत ही नहीं बदले, बल्कि अन्य किसानों को भी नई दिशा मिले।
चिराग ने पहले अपनी पथरीली जमीन पर खेती करने योग्य फसलों को लेकर अध्ययन किया। जिसके बाद उसे पता चला कि पथरीली जमीन पर ड्रेगन की खेती संभव है। उसने उत्तर प्रदेश के कोसाम्बी के प्रगतिशील किसानों से संपर्क कर इस फसल के बारे में जानकारी ली। ड्र्रेगन फ्रूट की फसल को तैयार करने तथा उसके रख—रखाव तथा अन्य सभी जानकारी के लिए वह कोसाम्बी पहुंचा। उसके बाद अन्य आधुनिक फसलों को लेकर गुजरात के दलजीतपुरा भी पहुंचा, जहां ड्रेगन फ्रूट की खेती के प्रशिक्षण लिया। गांव लौटकर वापस साल 2020 में अपनी पारिवारिक खेतों में 200 पौधे ड्र्रेगन फ्रूट के लगाए और सारा समय नई फसल को पनपाने में देने लगा। शुरूआत में कुछ किसानों ने उसे सनकी समझा लेकिन जब फसल से लाभ मिलने लगा तो दूसरे किसान और उनके परिवार के सदस्य भी उससे जानकारी लेने आने लगे।
चिराग बताता है कि अब उसके यहां लगे ड्रेगन फ्रूट के पौधों में फल आने लगे हैं। अब वह कृष्ण फल के अलावा ओएस्टर व किंग ओएस्टर किस्म के मशरूम, सेब, बेर, कटहल आदि की खेती की शुरूआत कर चुका है। जिसमें भी उसे सोच से अधिक सफलता मिली है। उसने बताया कि वह पूरी तरह जैविक तरीके से ही फसल तैयार कर रहा है। उसके यहां उत्पादित फसलों की मांग मिलने लगी है।

By Udaipurviews

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