230 छात्राओं की वार्षिक फीस जमा कर दिखाई संवेदनशीलता
उदयपुर, 29 सितम्बर : उदयपुर के पूर्व महाराणा शम्भूसिंह (1861-1874) ने जनवरी 1863 में उदयपुर का पहला स्कूल ‘शम्भूरत्न पाठशाला’ शुरू किया था। इसे 1866 में कन्या विद्यालय के रूप में परिवर्तित किया गया, जो भारत में रियासती स्तर पर स्थापित पहला कन्या विद्यालय था। महाराणा शंभूसिंह ने विद्यादान की परम्परा को जारी किया था। उसी परम्परा को अब महाराणा राजवंश के सदस्य डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने बरकरार रखा है।
डॉ. लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ ने जगदीश चौक स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में अध्ययरत सभी 230 छात्राओं की संपूर्ण वार्षिक फीस जमा कराते हुए परम्परा को बनाए रखा। इस अवसर डॉ. लक्ष्यराज ने कहा कि विद्यादान की यह परंपरा मेवाड़ में नई नहीं है। बालिका शिक्षा ही सशक्त समाज और प्रगतिशील राष्ट्र की नींव है। यदि बालिकाएं शिक्षित होंगी तो आने वाली पीढ़ी भी मजबूत होगी। उन्होंने समाज से आह्वान किया कि हर सक्षम व्यक्ति शिक्षा प्रोत्साहन के लिए आगे आए। विद्यालय की प्राचार्या ने कहा कि शिक्षा ही मेवाड़ के विकास की सुदृढ़ नींव रही है। आज डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ उसी परम्परा को आधुनिक संदर्भों में जीवंत कर रहे हैं।
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बालिका शिक्षा को बढ़ावा: डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने निभाई मेवाड़ी परम्परा
