आई जी बोले : शिक्षा जीवन की अक्षय पूंजी
सपने देखें, योजना बनाए, साकार करें
उदयपुर, 22 जून. जीवन में समग्र सफलता प्राप्त करने के लिए विद्यार्थी सपने देखें, सपनों को साकार करने की योजना बनाएं एवं अनुशासित, उत्साही, परिश्रमी रहते हुए, स्वयं में समयानुकूल सकारात्मक परिवर्तन लाए। यह विचार पुलिस महानिरीक्षक राजेश मीणा ने विद्या भवन ऑडिटोरियम में आयोजित उत्कृष्ट विद्यार्थी सम्मान समारोह में व्यक्त किए।
विद्या भवन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में पिचहतर प्रतिशत से अधिक अंक पाने वाले विद्यार्थियों का सम्मान किया गया ।
समारोह में संभाग के 25 सरकारी तथा 22 निजी विद्यालयों के तीन सौ विद्यार्थियों को सम्मान प्रदान किया गया ।
मुख्य अतिथि मीणा ने शिक्षा को जीवन की सबसे महत्वपूर्ण एवं अक्षय पूंजी बताया । उन्होंने सम्मानित हुए विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे अच्छे अंक लाने के साथ साथ दया, करुणा, परोपकार, सद्भावना, सेवा जैसे उदात्त नैतिक मूल्यों व संस्कारों को भी आत्मसात करें ।
समारोह में विद्या भवन के अध्यक्ष डॉ जितेंद्र कुमार तायलिया ने कहा कि सफलता किसी परिवेश की मोहताज नहीं होती। तायलिया ने विद्यार्थियों के माता-पिता के समर्पण का स्मरण करते हुए कहा कि कठिनाइयों व अभावों के बावजूद अभिभावक अपने बच्चों के लिए समय,संसाधन व श्रम को समर्पित करते है। विद्या भवन अभिभावकों के समर्पण को प्रणाम करता है तथा आवश्यक सलाह, मार्गदर्शन व सहयोग के लिए तत्पर है ।
विद्या भवन के मुख्य संचालक पूर्व आई ए एस राजेंद्र भट्ट ने कहा कि पढ़ने,लिखने, खेलने की लगन है तो जीवन के हर क्षेत्र में निश्चित ही सफलता मिलती है। भट्ट ने कहा कि उत्कृष्ट सम्मान प्राप्त करने वाले विद्यार्थी अपने सहपाठियों व मित्रों को भी मन लगाकर पढ़ाई करने के लिए प्रेरित करें और सहयोग दें।
विशिष्ट अतिथि सीटीएई के डीन डॉ सुनील जोशी ने कहा कि किशोर व युवा वर्ग ही विकसित भारत के स्वप्न को साकार कर सकते है। उन्होंने विद्या भवन में विगत 94 वर्षों के इतिहास व उपलब्धियों का स्मरण करते हुए कहा कि विद्या भवन शिक्षा का ऐसा मॉडल है, जो समाज, देश व विश्व के लिए संवेदनशील, समर्पित व नागरिकता के भावों से परिपूर्ण विद्यार्थी तैयार कर रहा है।
समारोह में अभिभावकों, शिक्षकों सहित संभाग के अनेक शिक्षाविद, उद्योगपति , समाजविद भी उपस्थित थे ।
संचालन विद्या भवन सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य पुष्पराज सिंह राणावत ने किया। धन्यवाद डॉ दीपक गुप्ता ने दिया।