अनुशासन और जैविक कृषि ही भविष्य की सही राह – कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा

कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने 09 करोड़ की लागत से बने कृषि भवन का किया लोकार्पण
गरीबो का खाना अमीर लोग कर रहे है पसंद – डॉ. मीणा
– किसानों के लिए केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर पर पहुंचाने की जरूरत – डॉ. मीणा
– रासायनिक पैदावार से हर व्यक्ति रोगांे से ग्रसित – डॉ. मीणा
– परंपरा और नवाचार के समन्वय से कृषि शिक्षा को नई दिशा दे रहा है विद्यापीठ – प्रो. सारंगदेवोत

उदयपुर 07 अगस्त / राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक एग्रीकल्चर महाविद्यालय के अत्याधुनिक सुविधाओं से 09 करोड़ की लागत से बने कृषि भवन का लोकार्पण गुरूवार को प्रमुख अतिथि राजस्थान सरकार के कृषि मंत्री डॉ. किरोडी लाल मीणा, कुलपति कर्नल प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत, कुलाधिपति भंवर लाल गुर्जर ने पटिट्ा का अनावरण कर किया।
प्रो. सारंगदेवोत ने बताया कि डॉ. मीणा के संस्थान परिसर में पहुंचेन पर सभी कार्यकर्ताओं की ओर माला, उपरणा एवं पुष्प वर्षा से भव्य स्वागत किया गया। समारोह से पूर्व एनसीसी के कैडेट्स द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। डॉ. मीणा एवं अतिथियों द्वारा संस्थान परिसर में एक पौधा मॉ के नाम का भी लगाया। विद्यार्थियों की और से राजस्थानी गीतों पर रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतिया दी गई।
मुख्य अतिथि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि बदलते समय के साथ केवल कृषि ही नहीं, शिक्षा सहित सभी क्षेत्रों में बदलाव स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। आज के समय में विद्यार्थियों को केवल तकनीकी या व्यावसायिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि गुणवत्तापूर्ण, नैतिक मूल्यों से परिपूर्ण और राष्ट्र प्रेम व पर्यावरण चेतना से युक्त शिक्षा देना अत्यंत आवश्यक है, जिससे युवाओं में राष्ट्र सेवा – प्रेम के साथ-साथ प्रकृति – पर्यावरण के प्रति विद्यार्थियों में सकारात्मक विचारों को रूप दिया जा सके। इस दिशा में विद्यापीठ का प्रयास सराहनीय है। डॉ. मीणा ने विद्यार्थी वर्ग के लिए भावी जीवन में व्यावसायिक और आर्थिक रूप से सफलता हेतु अनुशासन को एक महत्वपूर्ण कड़ी बताया और कहां की अनुशासन की पालना से जीवन को सही दिशा दी जा सकती है। केन्द्र एवं राज्य सरकार ने किसनों के लिए अनेकों कल्याणकारी योजनाए जारी की गई है जरूरत है इन योजनाओं को इन तक पहुंचाने की। इस दिशा में संस्थान किसानों की पेरवी करें।
डॉ. मीणा ने कहा कि आज गरीबों का खाना अमीर लोग पसंद करने लगे हैं। जब भी हम बडी होटलों में जाते है तो सबसे पहले स्वीटकोण शुप परोसा जाता है।
गरीब को दरिद्रनारायण मानकर सेवा करने की जरूरत है। पक्ति में बैठे अंतिम वर्ग तक लाभ पहुंचे यह सोच हमारी होनी चाहिए व उसे बराबरी तक लाने का प्रयास करने की जरूरत है।
डॉ. मीणा ने जीएपी पर निर्भरता करने पर जोर दिया। रासायनिक खाद के कारण हमारे खेत बंजर होते जा रहे है उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है। खेतों से निकलने वाले अनाज से आम व्यक्ति किसी ने किसी रोग से ग्रसित हो रहा  है। देश महामारी का शिकार होते जा रहा है।

उन्होंने कृषि उत्पादन के लिए रासायनिक उर्वरकों और रसायनों पर कृषि की बढ़ती निर्भरता के परिणाम स्वरूप फसलों की गुणवत्ता – पौष्टिकता और भूमि की उर्वरक क्षमता में आई कमी आई है। इससे निजात पाने के लिए कृषि के क्षेत्र में व्यापक रूप से काम करने की आवश्यकता है। जिसमें    प्राकृतिक कृषि बायो एग्रीकल्चर कार्बनिक कृषि प्रमुख विकल्प है।
अतिथियों का स्वागत करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि  विद्यापीठ का उद्देश्य परंपरागत भारतीय कृषि प्रणाली को आधुनिक तकनीकी नवाचारों के साथ समन्वित कर आदर्श कृषि शिक्षा का मॉडल विकसित करना है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा विद्यार्थियों तक पहुंचा कर कृषि के सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र में मानवीय संसाधनों को तैयार करने की कोशिश विद्यापीठ की ओर से की जा रही है। उन्होंने कहा कि विद्यापीठ का स्कूल ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज टिकाऊ कृषि, सतत विकास, जैव विविधता संरक्षण, कम लागत में अधिक उत्पादन, और ग्रामीण व आदिवासी समुदायों की आर्थिक उन्नति जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर काम कर रहा है।

अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति और कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर  ने कहा
कि भूमि की गुणवत्ता समाप्त होती जा रही है इस समस्या के समाधान के रूप में उन्होंने ऑर्गेनिक कृषि एवं परंपरागत कृषि को अपनाने पर विचार रखें साथ ही उन्होंने ऑर्गेनिक कृषि एवं इसके उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध करवाने की भी बात कही ताकि इस क्षेत्र में उत्पादित होने वाली फसलों को आमजन के पहुंच में लाया जा सके। अपने संबोधन में गुर्जर ने मेवाड़ क्षेत्र के किसानों की समस्याओं को बड़ी बारीकी से रेखांकित करते हुए कहा कि यहॉ की सबसे बडी समस्या नील गायों की है जिसके कारण उनकी फसले चोपट हो रही है। साथ ही छोटी जोत वाली जमीनों पर भी बाडबंदी के लिए अनुदान देन की जरूरत पर जोर दिया।

समारोह में चयनित किसानों को कीड़ों एवं बीमारियों की रोकथाम हेतु स्प्रेमशीन एवं किसान महिलाओं को कृषि में काम आने वाले उपकरणों का वितरण किया गया।

पुस्तक का हुआ विमोचन: समारोह में अतिथियों द्वारा बीएड महाविद्यालय प्रकाशित शंाति, विचार एवं क्रिया पुस्तक व कृषि विवरणिका का विमोचन किया गया। डॉ. मीणा ने संस्थान परिसर में बने म्युजियम व लेब का भी बडी ही गहराई से अवलोकन किया व सराहना की।

इस मौके पर  समाजसेवी मूलचंद सोनी,  पीठ स्थविर डॉ. कौशल नागदा, रजिस्ट्रार डॉ. तरूण श्रीमाली, विद्या प्रचारिणी सभा भूपाल नोबल्स संस्थान के मंत्री प्रो. महेन्द्र सिंह आगरिया, प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह रूपाखेड़ी, डॉ. युवराज सिंह राठौड़, परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, समाजसेवी नाना वया, ललित तलेसरा, सुखाडिया विवि पूर्व अध्यक्ष मयुरध्वज सिंह, ंनिरज अग्निहोत्री, हेमंत श्रीमाली, डॉ. धमेन्द्र राठौड़, प्रो. सरोज गर्ग, प्रो. गजेन्द्र माथुर, प्रो. आईजे माथुर, प्रो. जीवन सिंह खरकवाल, डॉ. शैलेन्द्र मेहता, डॉ. हेमेन्द्र चौधरी, डॉ. रचना राठौड, डॉ. अमी राठौड, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. अमिया गोस्वामी, डॉ. सुनिता मुर्डिया, डॉ. भूरालाल श्रीमाली सहित विद्यापीठ के डीन, डायरेक्टर व शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
संचालन डॉ. हरीश चौबीसा ने किया जबकि आभार प्रो. आईजे माथुर ने जताया।

By Udaipurviews

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