ऐसे महोत्सवों और लोक कलाकारों ने हमारी लोक संस्कृति को बढ़ावा दिया: राजपाल बागडे
छत्रपति संभाजी नगर, 18 अगस्त। राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागडे ने कहा कि हमारी हजारों वर्षों से चली आ रही लोक संस्कृति को ऐसे महोत्सवों ने आज तक जीवित रखा है। विभिन्न राज्यों के लोक कलाकारों का यह महासंगम अनूठा आयोजन है।
वे केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर एवं सांस्कृतिक कार्य संचालनालय, मुंबई की ओर से एमआयटी कॉलेज के मंथन हॉल में आयोजित हो रहे दो दिवसीय ‘वारसा सह्याद्रीचा’ कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। सोमवार को शुरू हुए इस दो दिवसीय कार्यक्रम का आगाज करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे महोत्सवों से ही हर राज्य को दूसरे प्रदेश की लोक संस्कृति से परिचित होने का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि इस कार्य में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर कायोगदान सराहनीय है।
उससे पूर्व राज्यपाल बागडे व अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलन और नटराज की प्रतिमा पूजन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक फुरकान खान ने स्वागत उद्बोधन देते हुए राज्यपाल बागडे सहित सभी आगंतुकों और कार्यक्रम के आयोजन में सहयोग देने वाले विभागों और अधिकारियों का आभार व्यक्त किया। इसके साथ ही राज्यपाल बागडे, एमएलसी अनुराधा चव्हाण और विदायक अर्जुन खोतकर का शॉल ओढ़ाकर, पुष्प गुच्छ और स्मृति चिह्न भेंट कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान एवं महाराष्ट्र के राज्यगीत से हुई। मंच संचालन मोहिता दीक्षित एवं मिलिंद रमेश कुलकर्णी ने किया।
विभिन्न राज्यों की संस्कृति से महकी महाराष्ट्र की धरा
– राजस्थान के लोक वाद्य खरताल से लेकर महाराष्ट्र की तुतारी से बिखरीं संगीत की लहरियां
– गुजरात के सिद्दी धमाल, बंगाल के नटुआ, राजस्थान के चरी जैसे लोकनृत्यों ने मचाई धूम
छत्रपति संभाजी नगर, 18 अगस्त। संभाजी नगर का एमआयटी हॉल सोमवार को देश के विभिन्न राज्यों की कला संस्कृति के अनूठे संगम का गवाह बना। अवसर था केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर एवं सांस्कृतिक कार्य संचालनालय, मुंबई की ओर से आयोजित दो दिवसीय वारसा सह्याद्रीचा के आगाज का। इसमें जहां विभिन्न राज्यों के लोक वाद्ययंत्रों की अनूठी प्रस्तुति ‘म्यूजिकल सिम्फनी’ ने रिझाया। वहीं देश के सात राज्यों के वाद्यों के साथ लोकनृत्यों को देख कलाप्रेमी मोहित हो गए। यहां भारूड गायन ने ठेठ स्थानीय संस्कृति की झलक से कलाप्रेमियों का दिल छू लिया।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों की संस्कृतियों को महाराष्ट्र के आमजन व कलाप्रेमियों तक पहुंचाने के उद्देश्य से इस विभिन्न संस्कृतियों के महासंगम का आयोजन किया जा रहा है। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में जहां सात राज्यों की लोक संस्कृति का नृत्यों एवं संगीत के माध्यम से खूबसूरत प्रस्तुतीकरण किया जा रहा है, वहीं इस कार्यक्रम में कथक बैले का क्लासिकल पुट भी दिया गया है।
कार्यक्रम के तहत सोमवार को राजस्थान के लोक वाद्यों की डेजर्ट सिम्फनी में खरताल, पुंगी (बीन), चौतारा, कामायचा, सारंगी, मटका, बाजा, ढोलक, मोरचंग के साथ कच्छ की वीणा, जोड़िया पावा, गमेलू, मंजीरा तथा महाराष्ट्र की नाळ व तुतारी (बिगुल) का अनूठा म्यूजिकल सम्मिश्रण सुनकर श्रोता झूम उठे। इसके बाद महाराष्ट्र की तुतारी की ऐलानिया गूंज के साथ संतोष नायर द्वारा निर्देशित कोरियोग्राफ प्रस्तुति में मराठी गोंधळ, गोवा के समई, महाराष्ट्र के लावणी, राजस्थान के चरी व कालबेलिया, गुजरात के राठवा और सिद्दी धमाल, मणिपुर के पुंग ढोल चोलम, पश्चिम बंगाल के पुरूलिया के नटुआ, पंजाब के भांगड़ा नृत्यों के अनूठे संगम को देख हॉल में मौजूद सैकड़ों दर्शक वाह वाह कर उठे और समूचा हॉल प्रस्तुति के दौरान कई बार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
विभिन्न संस्कृतियों की यह सरिता बहती हुई पुनः मराठी संस्कृति पर पहुंची। यहां प्रसिद्ध लोकगायक गणेशचंदन शिवे की प्रस्तुति भारूड में रूपकों और दोहरे अर्थों के प्रयोग से आमजन को नैतिक एवं दार्शनिक संदेश दिया गया। इस दौरान श्रोताओं ने कई बार करतल ध्वनि से एमआयटी परिसर को गूंजायमान कर दिया। दरअसल 16वीं सदी में संत एकनाथ ने इस अनूठी उपदेशात्मक प्रस्तुति को लोकप्रिय बनाया जिसे कला की अगली पीढियां गौरव से आगे बढ़ा रही है।
आज मंगलवार के कार्यक्रम –
दूसरे दिन मंगलवार को प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना शमा भाटे अपने मशहूर कथक बैले ‘‘कृष्णा द लिबरेटर’’ की प्रस्तुति में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा आमजन के साथ ही गोपियों को विभिन्न आपदाओं और संकटों से मुक्ति दिलाने के प्रसंगों को जीवंत करेंगी। साथ ही श्रीकृष्ण के पर्यावरण प्रेम के भाव को भी नृत्य के माध्यम से प्रदर्शित करेंगी। इसके साथ ही म्यूजिकल सिम्फनी और कोरियोग्राफ की प्रस्तुतियों से कलाकार कलाप्रेमियों का मन मोहेंगे। वहीं प्रसिद्ध नृत्यांगना प्रमिला सूर्यवंशी लावणी नृत्य की खूबसूरत प्रस्तुति देंगी।
सांस्कृतिक कार्य संचालनालय, महाराष्ट्र राज्य, मुंबई एवं पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर
