-एक वर्ग चाहता है शुल्क तो दूसरा निशुल्क प्रवेश
उदयपुर। शहर के चांदपोल बाहर मांझी का घाट स्थित देवस्थान विभाग के अधीन राजकीय आत्मनिर्भर श्रेणी सरदार स्वरुप श्यामजी मंदिर में प्रवेश को लेकर लोग दो गुटों में बंटने के साथ ही अलग अलग मांग करने लगे हैं। एक गुट प्रवेश पर शुल्क लगे रहने जबकि दूसरा गुट प्रवेश निशुल्क करने की मांग देवस्थान विभाग से कर रहा है।
बता दें कांग्रेस सेवादल अध्यक्ष कौशल आमेटा के नेतृत्व में वार्ड 12 के स्थानीय लोगों की तरफ से लगातार की जा रही मांग के बाद देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त जतिन गांधी ने नवीन टेण्डर नहीं होने तक विभागीय स्तर पर शुल्क वसूलने और स्थानीय लोगों को परिचय पत्र दिखाने पर निशुल्क प्रवेश की व्यवस्था की। इसका श्री सरदार स्वरुप श्याम मांजी का मंदिर बचाओ संघर्ष समिति, पार्षद, पूर्व पार्षदों अधिवक्ताओं व क्षैत्रीय नागरिकों ने मावली विधायक धर्मनारायण जोशी के नेतृत्व में विरोध शुरू करते हुए प्रवेश निशुल्क रखने की मांग की। प्रवेश शुल्क को लेकर कांग्रेस सेवादल जिला अध्यक्ष आमेटा, पार्षद मदनसिंह बाबरवाल, कांग्रेस ओबीसी जिला अध्यक्ष राजेश दया, पार्षद बतुल हबीब, पार्षद गौरव प्रताप, गणेश शर्मा, सुरेश अजमेरा, लालसिंह देवड़ा, सुरेश औदीच्य, विनय शर्मा, प्रवीण मिश्रा के नेतृत्व में सेवादल कार्यकर्ताओं व क्षेत्रवासियों ने सोमवार को देवस्थान आयुक्त को ज्ञापन सौपते हुए बताया कि मंदिर पर जब से शुल्क लगा है तब से क्षेत्र में शांति है। शुल्क हटा देने पर भीड़ का जमावड़ा होने व पहले की भांति अनैतिक गतिविधियों से यहां रहने वाले क्षेत्रवासियों का रहना दुश्वार हो जाएगा। वैसे भी यहां शाम को भीड़ रहने से संकड़ी गली जाम रहती है। उन्होंने बताया कि मंदिर पर लाइट भी बंद होने से अंधेरा पसरा रहता है। उधर, मंदिर बचाओ संघर्ष समिति बैनर तले मावली विधायक धर्मनारायण जोशी के नेतृत्व में भाजपा विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक प्रवीण खंडेलवाल, पार्षद मदन दवे, पूर्व पार्षद जगत नागदा, दिनेश गुप्ता, विजय प्रकाश विप्लवी, एडवोकेट अशोक सिंघवी, निर्मल चौबीसा, कमल कुमावत, मीठालाल कुमावत, पवन कुमावत, दीपक कुमावत के प्रतिनिधिमंडल ने देवस्थान आयुक्त प्रज्ञा केवलरमानी से भेंटकर मांजी मंदिर घाट (अमराई) स्थान के संरक्षण, प्रवेश शुल्क समाप्ति, स्थान की मयार्दा व पवित्रता बनाए रखने सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा करते हुए यहां प्रवेश शुल्क व्यवस्था समाप्त करने व प्री वेडिंग शूटिंग बंद करने की मांग की। उन्होंने बताया कि यह आस्थास्थल है। मांजी घाट पर परम्परागत रुप से मृत्यु के उत्तरकर्म, पिंड, तर्पण किया जाता रहा है। घाट पर कोई सुविधा नहीं, सफाई नहीं है, जबकि देवस्थान इसे राजस्व का साधन बना रहा है।
मांजी मंदिर में प्रवेश को लेकर उठने लगी अलग-अलग आवाज
