– बडग़ांव में 7 दिवसीय भागवत कथा की पूर्णाहुति आज
– कथा में मंदिर की पूजा, तिलक, दर्शन, चरणामृत, माला का अर्थ विस्तार से समझाया
उदयपुर, 24 नवम्बर। झीलों की नगरी में बडग़ांव स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, होली चौक में मंदिर प्रतिमा पुनस्र्थापना समारोह के तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा में कथावाचक पुष्कर दास महाराज के मुख से अमृतवाणी बरस रही है।
संगीतमय भागवत कथा के पांचवे दिन पुष्कर दास महाराज ने मंदिर की पूजा, तिलक, दर्शन, चरणामृत, माला, सभी का अर्थ विस्तार से समझाया। महाराज ने कहा आज के समय में मंदिरों में स्वचालित नगाड़े लगे हुए है अगर हम सभी समय निकालकर आरती के समय मंदिर में जाए तो ये स्वचालित नगाड़े बंद हो सकते है। आज के समय में छोटे बच्चों को मंदिर की ओर प्रेरित करना चाहिए, मंदिरों में किया दान,पुण्य हमारे आगे के जन्म के लिए काम आयेगा, सत्कर्म में लगा पैसा जीवन को सफल बनाता है। आगे कहा जो गुणों का अर्जन करे वही अर्जुन, निकट में धारा बहती है पर कोई अवगान नहीं कर सकता । कथा हमारे स्वभाव को सुधारने के लिए है, कथा हमारा निज दर्शन, करने के लिए है। सत्कर्म शुद्धता से करना चाहिए, बिना दुख के कृष्ण का जन्म नहीं होता, दुख होता है तभी सुख आता है। आगे कन्याओं के बारे में कहा केरियर के चक्कर में अपनी मान मर्यादाओं को नहीं छोडऩा चाहिए । संत और सत्संग मिल जाए मानो परमात्मा मिल गया, परमात्मा आनंद स्वरूप है द्य इसलिए कथा में आनंद आता हे तो स्वयं परमात्मा आते है। परमात्मा भाव को देखते है, नंद का मतलब जो दूसरों को आनंद दे। यशोदा का मतलब काम खुद करे और यश दूसरों को देवे। आगे कहा नंदबाबा के घर जब परमानंद आया तो उन्होंने सब कुछ लुटाया, क्यों की उनके घर सच्चिदानंद स्वरूप खुद ईश्वर ने जन्म लिया । परमात्मा आनंद स्वरूप है, हमारे घट में भी आनंद स्वरूप ईश्वर का जन्म होना चाहिए। कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा यशोदा मैया ने महंगे हार, हीरे मोती लुटाए क्यों कि ईश्वर के सामने ये इनकी कोई कीमत नहीं है। पूतना के वध का वर्णन किया, शकटासुर को बालक कृष्ण ने मारा, कृष्ण ने गोपियों के कोमल मन रूपी मक्खन को चुराया है दूध के मक्खन को नहीं । कृष्ण ने मटकियां फोड़ी थी जिस जीवात्मा के सिर पर अहंकार रूपी पाप की मटकी फोड़ी थी। चीरहरण लीला में साड़ी, कपड़े का चीर नहीं बल्कि वासना का चीर हरण किया। महाराज ने गोवर्धन की व्याख्या करते हुए कहा गो का मतलब इंद्रियां वर्धन का मतलब बढऩा। इसी तरह हमारी श्रद्धा दिनों दिन बढ़े वही “गोवर्धन लीला” है । सभी भक्तों ने सामूहिक भगवान गिरिराज धरण को हलवे का भोग धारण करवाया । महिलाओं ने हाथ खड़े करके गिरिराज धरण के जयकारे लगाए । अंत में सभी भक्तों ने सामूहिक आरती की।
विठ्ठल वैष्णव ने बताया 7 दिवसीय भागवत कथा की पूर्णाहुति मंगलवार सांय 6.30 बजे से 9.30 बजे मध्य महाआरती के साथ होगी।
– कथा में मंदिर की पूजा, तिलक, दर्शन, चरणामृत, माला का अर्थ विस्तार से समझाया
उदयपुर, 24 नवम्बर। झीलों की नगरी में बडग़ांव स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, होली चौक में मंदिर प्रतिमा पुनस्र्थापना समारोह के तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा में कथावाचक पुष्कर दास महाराज के मुख से अमृतवाणी बरस रही है।
संगीतमय भागवत कथा के पांचवे दिन पुष्कर दास महाराज ने मंदिर की पूजा, तिलक, दर्शन, चरणामृत, माला, सभी का अर्थ विस्तार से समझाया। महाराज ने कहा आज के समय में मंदिरों में स्वचालित नगाड़े लगे हुए है अगर हम सभी समय निकालकर आरती के समय मंदिर में जाए तो ये स्वचालित नगाड़े बंद हो सकते है। आज के समय में छोटे बच्चों को मंदिर की ओर प्रेरित करना चाहिए, मंदिरों में किया दान,पुण्य हमारे आगे के जन्म के लिए काम आयेगा, सत्कर्म में लगा पैसा जीवन को सफल बनाता है। आगे कहा जो गुणों का अर्जन करे वही अर्जुन, निकट में धारा बहती है पर कोई अवगान नहीं कर सकता । कथा हमारे स्वभाव को सुधारने के लिए है, कथा हमारा निज दर्शन, करने के लिए है। सत्कर्म शुद्धता से करना चाहिए, बिना दुख के कृष्ण का जन्म नहीं होता, दुख होता है तभी सुख आता है। आगे कन्याओं के बारे में कहा केरियर के चक्कर में अपनी मान मर्यादाओं को नहीं छोडऩा चाहिए । संत और सत्संग मिल जाए मानो परमात्मा मिल गया, परमात्मा आनंद स्वरूप है द्य इसलिए कथा में आनंद आता हे तो स्वयं परमात्मा आते है। परमात्मा भाव को देखते है, नंद का मतलब जो दूसरों को आनंद दे। यशोदा का मतलब काम खुद करे और यश दूसरों को देवे। आगे कहा नंदबाबा के घर जब परमानंद आया तो उन्होंने सब कुछ लुटाया, क्यों की उनके घर सच्चिदानंद स्वरूप खुद ईश्वर ने जन्म लिया । परमात्मा आनंद स्वरूप है, हमारे घट में भी आनंद स्वरूप ईश्वर का जन्म होना चाहिए। कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा यशोदा मैया ने महंगे हार, हीरे मोती लुटाए क्यों कि ईश्वर के सामने ये इनकी कोई कीमत नहीं है। पूतना के वध का वर्णन किया, शकटासुर को बालक कृष्ण ने मारा, कृष्ण ने गोपियों के कोमल मन रूपी मक्खन को चुराया है दूध के मक्खन को नहीं । कृष्ण ने मटकियां फोड़ी थी जिस जीवात्मा के सिर पर अहंकार रूपी पाप की मटकी फोड़ी थी। चीरहरण लीला में साड़ी, कपड़े का चीर नहीं बल्कि वासना का चीर हरण किया। महाराज ने गोवर्धन की व्याख्या करते हुए कहा गो का मतलब इंद्रियां वर्धन का मतलब बढऩा। इसी तरह हमारी श्रद्धा दिनों दिन बढ़े वही “गोवर्धन लीला” है । सभी भक्तों ने सामूहिक भगवान गिरिराज धरण को हलवे का भोग धारण करवाया । महिलाओं ने हाथ खड़े करके गिरिराज धरण के जयकारे लगाए । अंत में सभी भक्तों ने सामूहिक आरती की।
विठ्ठल वैष्णव ने बताया 7 दिवसीय भागवत कथा की पूर्णाहुति मंगलवार सांय 6.30 बजे से 9.30 बजे मध्य महाआरती के साथ होगी।
