उदयपुर। न्यू भूपालपुरा स्थित अरिहंत भवन परिसर में पर्युषण पर्व के दौरान आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए जैनाचार्य ज्ञानचंद्र महाराज ने कहा कि जिंदगी एक सफर है आराम से चलते रहिए। उतार चढ़ाव तो आते रहते हैं, बस गियर बदलते रहिए। सफर का मजा लेना है तो समान कम रखिए,जिंदगी का मजा लेना है तो अरमान कम रखिए।
उन्होंने कहा कि पशु पक्षियों को नींद की दवा नहीं देनी पड़ती। नींद लेने के लिए गिद्दे तकिया भी नहीं चाहिए क्योंकि उनके मन में अरमान नहीं होते। बस खाने के लिए दो रोटी चाहिए। वह भी एक टाइम की, शाम की भी चिंता नहीं होती। इसलिए आराम से सोते हैं। इंसान अपने ही अरमानों में परेशान है। साधु हो या श्रावक, सुखी वही रह सकता है, जहां इच्छाएं कम हो।
जीवन में कुछ भी पाने के लिए दौड़ लगाना गलत नहीं है। पर सिर्फ दौड़ने से ही कुछ नहीं मिलने वाला है। पुरुषार्थ के साथ भाग्य की भी आवश्यकता है। एक पान की दुकान पर कुछ लोगों में चर्चा चल रही थी कि भाग्य जरूरी है या पुरुषार्थ। सबका अपना-अपना पक्ष था। तब पान वाले ने कहा भाग्य और पुरुषार्थ बैंक के लॉकर की दो चाबियों की तरह है। सिर्फ एक चाबी से लॉकर नहीं खुलेगा। जीवन में भी समस्याओं के तालों को खोलने के लिए भाग्य और पुरुषार्थ दोनों चाबियों का होना जरूरी है।
आज की प्रवचन सभा में दिल्ली, मुंबई, जयपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़, वल्लभनगर, इंदौर, रतलाम, अहमदाबाद, मोरबन, भीम, ब्यावर आदि अनेक शहरों से सैकड़ों दर्शनार्थी उपस्थित थे।
जिंदगी का सफर आराम से तय करिएःआचार्य ज्ञानचन्द्र
