मृत्यु भोज निषेध कानून के बारे ने समझाया

प्राधिकरण सचिव (अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश) द्वारा जागरूकता शिविर का आयोजन
प्रतापगढ़19 दिसम्बर। माननीय राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर के एक्शन प्लान की पालना एवं निर्देशानुसार अनवरत जारी मृत्युभोज निषेध कानून के तहत जागरूकता शिविरों की श्रंखला में आज सोमवार को गन्धेर ग्राम पंचायत में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया  गया।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव (अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश) शिवप्रसाद तम्बोली ने जानकारी में बताया की  जिले की ग्राम पंचायत गन्धेर में प्राधिकरण द्वारा जारी अभियान के तहत वृहत्त कृषि बहुद्धेशीय सहकारी समिति लिमिटेड के भवन के बाहर आम चैराहे पर एकत्र लोगों के समक्ष विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन ंिकया गया। जहां विशेषतः मृत्युभोज निषेध कानून 1960 के तहत जानकारीयां प्रदान की गई तथा उपस्थित ग्रामीणजनों से मृत्युभोज नहीं करने तथा नहीं करवाने हेतु अपील की। इसी के साथ जानकारी दी की यदि परिवारजन की मृत्यु हो जाती है तो परम्परानुसार मृत आत्मा की आत्मिक शांति के लिये 40 ब्राह्मणांे को भोजन कराया जा सकता है, एवं उक्त कानून की अवहेलना एक गैर जमानतीय अपराध है, जिसके तहत जेल भी हो सकती है।
मौजूद ग्रामीणजन/आम जन एवं काश्तकारों के लिये जागरूकता शिविर का आयोजन किया । जहां उपस्थित गांववासियों को डाकन प्रथा निषेध कानून वरीष्ठ नागरिकों के अधिकार, मोटर वाहन दूर्घटना अधिनियम आदि के बारे में समझाया। बाल विवाह निषेध कानून के बारे में जोर देते हुए कहा ंिक 18 वर्ष से कम उम्र की कन्या और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के का विवाह बाल विवाह की श्रेणी में आता है। यह कानूनन अपराध है और इसके लिये 01 लाख रूपये जुर्माना और दो वर्ष कारावास का प्रावधान है। इसी के साथ कन्या भु्रण हत्या निषेध कानून के बारे में बताते हुए कहा ंिक यह भी एक गैर जमानती अपराध है जिसके तहत गर्भ में पल रहे बच्चे का भु्रण परीक्षण कराने वाले दम्पत्ति, रिश्तेदार, डाॅक्टर आदि सभी दोषी होते हैं।
उपस्थित काश्तकारों को उन्नत खेती के बारे में भी समझाया गया। प्राधिकरण सचिव तम्बोली ने काश्तकारों को रासायनिक खाद एवं रासायनिक कीटनाशक के दुष्प्रभावों के बारे में बताया। ऐसे किटनाशकों के छिड़काव एवं खाद के उपयोग से केंसर जैसे घातक रोग की सम्भावना भी बनी रहती है। कईं बार रासायनिक कीटनाशक के छिड़काव से किसान बेहोश हो जाता है और उसकी मौत तक हो जाती है।

साथ ही इससे उत्पन्न होने वाली फसल की पौषकता भी नष्ट हो जाती है, जिससे मानव जीवन को खतरा भी रहता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है और बीमारियों का खतरा बढ़ता जाता है। इसलिये देशी खाद व देशी कीटनाशक के प्रयोग करने से खेती की लागत तो कम होती ही है, वरन् उत्पादित फसलें भी पौष्टिक होती है। रासायनिक कीटनाशक के छिड़काव से काश्तकारों की कृषि लागत, स्वास्थ्य एवं जेब तक पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिये देशी कीटनाशक व खाद स्वयं बनाने की आसान विधि समझाते हुए कहा ंिक इससे कैंसर जैसी बीमारियों से भी बचा जा सकता है और अपनी कृषि पैदावार भी अच्छी होगी।
इसी के साथ उपस्थित ग्रामीणजनों को बड़ौदा स्वरोजगार विकास संस्थान प्रतापगढ़ द्वारा संचालित विभिन्न निःशुल्क प्रशिक्षणों के बारे में बताया। 18 से 45 वर्ष आयुवर्ग के पुरूष व महिलाएं आत्मनिर्भर बनने के लिये एवं स्वयं का रोजगार चलाने के लिये उक्त संस्थान में निःशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। जिनमें केंचुआ खाद बनाना, पापड़ बनाना, अगरबत्ती निर्माण, गुलकन्द बनाना, सिलाई, मोबाईल रिपेयरिंग जैसे कुल 52 प्रकार के प्रशिक्षण निःशुल्क प्राप्त कर सकते हैं।

By Udaipurviews

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