दिन भर कार्यालय में बधाई देने वालो का लगा रहा जमावड़ा
समर्पित एवं निष्ठावान कार्यकर्ताओं की बदौलत विद्यापीठ सर्वोच्च शिखर पर – प्रो. सारंगदेवोत
विकास कार्यो को कार्यकर्ता को किया समर्पित ……..
उदयपुर 02 जून/ राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत के कुलपति के पद पर 13 वर्ष पूर्ण कर 14 वें वर्ष में प्रवेश करने पर सोमवार को शहर के सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक संगठनों के पदाधिकारी एवं विद्यापीठ के तीनों परिसरों के कार्यकर्ताओं ने प्रो. सारंगदेवोत का पगड़ी, उपरणा, बुके देकर सम्मान किया। इससे पहले प्रो. सारंगदेवोत ने संस्थापक जनुभाई की प्रतिमा व मॉ सरस्वती की मुर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित कर आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर प्रो़. सारंगदेवोत ने कार्यकर्ताओं एवं विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों का आभार व्यक्त करते हुए अपने 13 वर्ष के विकास कार्यो को कार्यकर्ताओं को समर्पित करते हुए कहा कि विपरित परिस्थितियों में 2012 में कुलपति का पदभार ग्रहण किया। पिछले 13 वर्षो से विद्यापीठ के शुभचिंतकों व समर्पित एवं निष्ठावान कार्यकर्ताओं ने निस्वार्थ भार से कंधे से कधा मिलाकर हर समय साथ दिया है। इसी की बदौलत आज संस्था देश ही नहीं विश्व पटल पर अपनी अग्रणी भूमिका का निरवहन कर रहा है। इस दौरान विद्यापीठ ने शिक्षा, चिकित्सा के क्षेत्र में कई नये आयाम स्थापित किए है, जिसमें इस दौरान संस्थान में विधि महाविद्यालय, बीएससी नर्सिंग, जीएनएम, फार्मेसी, हॉस्पीटल, एग्रीकल्चर, दो परिसर में कन्या महाविद्यालय, ज्योतिष एवं वास्तु विभाग, होटल मैनेजमेंट, सायंकालीन महाविद्यालय की पुनस्थापना, विज्ञान महाविद्यालय, आईआईआरएफ रेकिंग में राजस्थान में प्रथम, युनिरेंक में उदयपुर में प्रथम, 150 से अधिक पेटेंट, 150 बेड़ का अत्याधुनिक हॉस्टल, स्पोर्टस ग्राउंड जैसे कई नये आयाम स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि पं. नागर ने 87 वर्ष पूर्व 21 अगस्त, 1937 को तीन रूपये व एक किराये के भवन में पांच कार्यकर्ताओं के साथ संस्था की शुरूआत की थी जो आज 70 करोड के वार्षिक बजट तथा 10 हजार से अधिक विधार्थियों के साथ वटवृक्ष बन गया है। विद्यापीठ द्वारा द्वारा सभी प्रकार के 69 से अधिक पाठ्यक्रम संचालित कर रहा है, संचालित सभी पाठ्यक्रम यूजीसी से मान्यता प्राप्त है।
इस अवसर पर कुल प्रमुख एवं कुलाधिपति भंवर लाल गुर्जर ने प्रो. सारंगदेवोत को शुभकामनाएॅ देते हुए कहा कि विद्यापीठ ने राष्ट्रीय ही नहीं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई है। जनुभाई के संकल्पों को पूरा करने का संकल्प भी कार्यकर्ताओं ने लिया।
इस अवसर पर रजिस्ट्रार डॉ. तरूण श्रीमाली, पीठ स्थविर डॉ. कौशल नागदा, विद्या प्रचारिणी सभा के प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह रूपाखेडी, डॉ. युवराज सिंह राठौड़, प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. भवानीपाल सिंह राठौड, डॉ. धमेन्द्र राजौरा, डॉ. दिलीप सिंह चौहान, पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. हेमशंकर दाधीच, डॉ अवनीश नागर, डॉ. लाला राम जाट, प्रो. गजेन्द्र माथुर, प्रो. आईजे माथुर, प्रो. शुरवीर सिंह भाणावत, डॉ. अमी गोस्वामी, डॉ. शेलेन्द्र मेहता, प्रो. प्रेम सिंह रावलोत, डॉ. हीना खान, डॉ. नीरू राठौड, डॉ. भारत सिंह देवडा, डॉ. सपना श्रीमाली, डॉ. पंकज रावल, डॉ. आशीष डी नंदवाना, डॉ. पंकज रावल, डॉ. शाहिद कुरैशी, प्रवीण गुर्जर, आशीष नंदवाना, डॉ. कुल शेखर व्यास, डॉ. मनीष श्रीमाली, डॉ. संजीव राजपुरोहित, आरीफ हुसैन, डॉ. चन्द्रेश छतलानी, निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत, भगवती लाल श्रीमाली, मोहसीन छीपा, भगवती लाल सोनी, जितेन्द्र सिंह चौहान, उमराव सिंह राणावत, डॉ. नजमुद्दीन, लहरनाथ, डॉ. मनीषा मेहता, विजयलक्ष्मी सोनी, सहित विद्यापीठ के डीन डायरेक्टर ने माला पहना कर स्वागत किया।