उदयपुर। सुरजपोल बाहर स्थित दादाबाड़ी में श्री जैन श्वेताम्बर वासुपूज्य महाराज मन्दिर का ट्रस्ट द्वारा आयोजित किये जा रहे चातर्मास में समता मूर्ति साध्वी जयप्रभा की सुशिष्या साध्वी डॉ. संयम ज्योति ने कहा कि संतान माता-पिता के ऋण से उऋण नहीं हो सकती। अगर एक पुत्र करंे कि मैं अपने माता-पिता को अपनी चमड़ी के जुते बनाकर पहना दूं और ऋण से उऋण हो जाऊँ तो ज्ञानी कहते हैं कि उऋण होना संभव नही, केवल जुते बनवाने का अहंकार ही कर सकता है। चमड़ी कहाँ से लाया।
साध्वी ने कहा कि जो पुत्र अपने माता-पिता की तन, मन और धन से सेवा करता है कभी भी अपने कथन, बोल और व्यवहार से उनका दिल नहीं दुखाता, उनके माता-पिता उसका ऋण माफ कर देते है।
साध्वी ने कहा कि जो पुत्र सन्यास लेता है साधु बनता है परमात्मा की आज्ञा का पालन करता है उसे भी माता-पिता ऋण माफ कर देता है, परंतु जो साधु बनकर स्वादु बन जाना है, नेम एण्ड फेम के चक्कर में फंस जाता है उसका ऋण कभी माफ नही होता है। वह दुगुने दंड का भागी बनना है। उसे माता-पिता की सेवा न करने का दंड भी मिलता है और साधु जीवन में परमात्मा की आज्ञा नही पालने का दंड भी मिलता है।
संतान माता-पिता के ऋण से उऋण नहीं हो सकतीःसंयम ज्योति
