आमजन की जागरूकता के साथ चाइल्ड ट्रैफ़िकिंग की रोकथाम संभव- डॉ. पंड्या

रेलवे पुलिस, प्रशासन एवं गायत्री संस्थान का बाल तस्करी रोकने हेतु नवाचार  उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन पर विशेष कार्यक्रम आयोजित)
(मानव दुर्व्यापार विरोधी दिवस 30 जुलाई विशेष)
उदयपुर, 30 जुलाई । जिस प्रकार यात्रा के दौरान यात्री अपने साथ लाए समान का ध्यान रखते है उसी प्रकार थोड़ी सतर्कता अपने आस-पास यात्रा कर रहे अन्य लोग, लावारिस बच्चों या संदिग्ध लोगो की सूचना रेलवे पुलिस, चाइल्ड हेल्प लाइन को कर चाइल्ड ट्रैफ़िकिंग को रोक सकते है स ट्रैफ़िकर के इस पूरे रैकेट को ख़त्म कर सुरक्षित समाज के निर्माण हेतु आमजन को भी जागरूक बनकर सहयोग करना होगा स बाल तस्करी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए जागरूकता और समय पर सूचना बेहद जरूरी है। किसी भी यात्री को यदि कोई बच्चा संदिग्ध स्थिति में दिखे, तो तुरंत चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 या रेलवे हेल्पलाइन 139 पर जानकारी दें। उक्त विचार विश्व मानव दुर्व्यापार विरोधी दिवस (30 जुलाई) के उपलक्ष्य में विशेष अभियान के तहत आज उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन पर रेलवे पुलिस, गायत्री सेवा संस्थान और जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन द्वारा आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए बाल अधिकार विशेषज्ञ एवं गायत्री सेवा संस्थान, उदयपुर के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र पंड्या ने व्यक्त किए ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए राजस्थान बाल आयोग, राजस्थान सरकार के सदस्य ध्रुव कुमार कविया ने बताया की बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए सरकार और समाज मिलकर प्रयास कर रहे हैं। हर नागरिक की सतर्कता इस दिशा में बड़ा योगदान दे सकती है। उन्होंने बाल अधिकारिता विभाग की ओर से बच्चों के पुनर्वास, शिक्षा और काउंसलिंग के लिए चल रही योजनाओं की जानकारी भी दी।
कार्यक्रम में स्टेशन अधीक्षक हंसराज मीणा, रेलवे सुरक्षा बल उदयपुर प्रभारी रविन्द्र चारण, विकास सिंह ने अपने विचार व्यक्त किये।
गायत्री सेवा संस्थान ने पिछले वर्ष के दौरान 150 से अधिक बच्चों को बाल श्रम, ट्रैफिकिंग और बाल विवाह से बचाया है। संगठन ने यह रेखांकित किया कि बच्चों की ट्रैफिकिंग केवल बाल मजदूरी या मुनाफे के लिए नहीं यौन शोषण के लिए भी होती है । बहुत से बच्चे, खास तौर से लड़कियां, जबरन विवाह के लिए भी ट्रैफिकिंग का शिकार बनती हैं। यह एक एक ऐसी समस्या है जिसके बारे में कम ही चर्चा की जाती है और रोकथाम के उपायों पर भी ज्यादा बात नहीं होती।
बच्चों की ट्रैफिकिंग से निपटने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सामने आने वाली वाली चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कार्यक्रम में मौजूद अधिकारियों ने सामूहिक रूप से यह माना कि मौजूदा कानूनों के प्रति जागरूकता बढ़ाना, संवेदनशील तबकों को ट्रैफिकिंग गिरोहों और उनके कामकाज के तरीकों के बारे में संवेदनशील बनाना और सभी एजेंसियों के बीच समन्वय को मजबूत करना तत्काल जरूरी है, ताकि मुक्त कराए गए बच्चों के लिए तय समयसीमा में न्याय और पुनर्वास सुनिश्चित किया जा सके।
कार्यक्रम के दौरान जागरूकता हेतु पोस्टर जारी किए गए तथा यात्रियों को कला जथा टीम द्वारा जागरूक किया गया।
आरपीएफ अधिकारी सुरेंद्र सिंह ने यात्रियों से अनुरोध किया कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना रेलवे या चाइल्ड हेल्पलाइन को दें। उन्होंने बताया कि यात्रियों की सतर्कता कई बार बच्चों की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाती है।
कार्यक्रम के दौरान गायत्री सेवा संस्थान के प्रतिनिधि पायल कनेरिया, विवेक पालीवाल, मुकेश कुलमी ,राधा, सूरजमल भी मौजूद रहे।
आयोजन का मुख्य उद्देश्य यात्रियों और नागरिकों में जागरूकता बढ़ाना और बाल तस्करी की रोकथाम के लिए सामूहिक जिम्मेदारी का भाव जगाना था। धन्यवाद गायत्री संस्थान के जिला परियोजना अधिकारि नितिन पालीवाल ने किया ।

By Udaipurviews

Related Posts

error: Content is protected !!