आयड़ जैन तीर्थ में चातुर्मासिक प्रवचन की धूम जारी
– साध्वियों के सानिध्य में अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की
उदयपुर 15 नवम्बर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में बुधवार को पंजाब केसरी जैनाचार्य विजय वल्लभ सूरीश्वर महाराज का 153वां जन्मोत्सव विशेष पूजा-अर्चना के साथ मनाया। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में आरती, मंगल दीपक, सुबह सर्व औषधी से महाअभिषेक एवं अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा की निश्रा में पंजाब केशरी युगवीर जैनाचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरीश्वर महाराज का आज भैया दूज के दिन 153वाँ जन्म दिवस धूमधाम से मनाया गया। साध्वीजी ने बताया गुजरात बड़ौदा में जन्में आचार्य ने पिताश्री दीपचंद भाई एवं माताश्री इच्छा देवी के यहां जन्म लिया। बाल्यावस्था से ही वे वैराग्य वासित हो गये। दीक्षा स्वीकार की, दीक्षा ग्रहण के पश्चात ही विश्व शान्ति के अभिलाषी, राष्ट्रप्रेमी, समाज सुधारक एकता के अग्रदूत गुरु वल्लभ एक महान आचार्य के समान श्रीसंघों का कुशल संचालन किया। उन्होंने मध्यम वर्गीय साधर्मिक भाई-बहनों को सुदृढ़ आधार दिया देश-धर्म व संस्कृति के सच्चे सपूत पैदा करने के लिए सरस्वती मंदिरों की स्थापना करवाई। सर्वभूतहितरता आदर्श के जीवन्त रूप थे। वे सभी धर्मों के प्रति समान भाव रखते थे। ने क्रान्तिकारी समय दर्शी युगदृष्टा थे। उन्होंने विश्व संत का विराटरूप जनता जनार्दन के सम्मुख रखा। यही कारण था कि जैनेतर जनता भी उनसे प्रभावित रही। दिसम्बर बच्वेताम्बर के अलावा हिनू -सिक्ख, इसाई मुस्लिम आदि प्रत्येक जातिधर्म सम्प्रदाय वर्ण वर्ग का व्यक्ति उनके चरणों में श्रद्धावनत होता था। ऐसे मानवता के मसीहा गुरु वल्लम का जन्म दिवस मनाया गया। सावक-यापिका भक्त वर्ग ने गुरु वल्लभ के गुणों को अपनी गुरु भक्ति को भजनों के माध्यम से प्रस्तुति दी। चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।
पंजाब केसरी जैनाचार्य विजय वल्लभ सूरीश्वर महाराज का 153वां जन्मोत्सव मनाया
