उदयपुर। न्यू भूपालपुरा स्थित अरिहंत भवन में विराजमान आचार्य प्रवर ज्ञानचंद्र महाराज ने धर्मसभा में बोलते हुए कहा कि दिल से अच्छे होने से बेहतर है, पहले जुबान से अच्छा बनों क्योंकि लोगों का वास्ता सबसे पहले आपकी जुबान से पड़ता है।
उन्होंने कहा कि दिल तक तो कुछ खास लोग ही पहुंच पाते हैं। आज के जमाने में तो आपकी पत्नी भी दिल तक नहीं पहुंच पाती है। उसको भी जबान से कुछ मन प्रतिकूल बात बोलने से लड़ाई हो जाती है। आज कोई भी अपमानजनक, कड़वी बात सुनना पसंद नहीं करता। पहले अपनी जबान पर कंट्रोल जरूरी है। अपने मस्तिष्क में एक ऐसा ट्रांसफार्मर बैठाइये,आने वाले हाई वोल्टेज पावर को कंट्रोल कर सके। अगर कोई बात कहनी है तो भी कड़वाहट हटाकर समझदारी से मिठास पूर्वक प्रस्तुत करें।
उन्होंने कहा कि हम यह नहीं कहते कि सामने वाले की गलत बात को सहन कर लो, लेकिन यह भी कहते हैं कि इस तरह आक्रोषपूर्ण तरीके से जबाब भी मत दो। यानी प्यास लग रही है। पानी पिए बिना भी नहीं रह सकते तो गंदा पानी भी नहीं पी सकते। पानी को फिल्टर करके पिया जाए। इसी तरह न विरोध हो और ना निरोध हो, बस संशोध हो। इसी तरीके से किसी के क्रोध का जवाब क्रोध से न देकर शालीनता से दिया जाए।
सदा ध्यान रखिए कि जो जिक्र करते हैं, वह फिक्र नहीं करते और जो फिक्र करते हैं, वह जिक्र नहीं करते। पति-पत्नी को उसके लिए क्या कर रहा है, उसका इंतजार नहीं करता, वह खाली फिक्र करता है। ऊपर से भले लड़ाई हो सकती है पर अंदर हर वक्त फिक्र बनी रहती है।
यह बात समझने की जरूरत है।
आजकल जैनियों की संख्या निरंतर कम हो रही है। एक या दो बच्चे भी एक घर में नहीं होते। जबकि पहले एक माता-पिता के साथ आठ बल्कि उससे अधिक भी बच्चे होते थे। हमारा यह कहना नहीं है कि आप भी अधिक से अधिक बच्चे पैदा करो। हमारा तो यह कहना है कि आप अधिक से अधिक ब्रह्मचर्य पालो। लेकिन आप ब्रह्मचर्य नहीं पाल सकते तो अप्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग उचित नहीं है। फिर जो प्रकृति की दें संताने हैं, उसका लालन-पालन करो।
तपस्याएं निरंतर जारी है। शुक्रवार तलाक के कारण और रोकथाम के उपायों पर आज प्रतियोगिता रखी गई। 2 अगस्त को मध्यान्ह 2ः30 बजे से 3ः00 तक णमोत्थुणं महिला जाप रखा गया है।
रविवार को 8ः30 बजे से 9ः30 बजे तक णमोत्थुणं घटना प्रतियोगिता आयोजित होगी। 9ः30 बजे से 11ः00 तक “झूठी जबकि माया है“ विषय पर प्रवचन रखा गया। आज दिल्ली से कमल जैन सपरिवार गुरु चरणों में उपस्थित हुए प्रवचन श्रवण का लाभ लिया।
दिल से अच्छे होने से बेहतर है, पहले जुबान से अच्छा बनोंः आचार्य ज्ञानचंद्र महाराज
