‘ऑक्टेव 2025’ के दूसरे दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों को मिला उत्स्फूर्त प्रतिसाद
उदयपुर / नागपुर, 10 अक्टूबर। पूर्वोत्तर भारत के आठों राज्यों की संस्कृति पूरे देश में अपनी अनोखी पहचान और विशिष्टता रखती है। इन राज्यों की पारंपरिक वेशभूषा, वीरतापूर्ण लोकनृत्य और त्यौहारों के दौरान प्रस्तुत किए जाने वाले नृत्य रूपों के माध्यम से ‘ऑक्टेव फेस्टिवल’ के दूसरे दिन पूर्वोत्तर भारत के लोकजीवन की झलक प्रस्तुत की गई।
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के मार्गदर्शन में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर तथा दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर के संयुक्त तत्वावधान में ‘नॉर्थ ईस्ट ऑक्टेव 2025’ फेस्टिवल का आयोजन दक्षिण मध्य क्षेत्र परिसर में किया गया है।
महोत्सव के दूसरे दिन का आरंभ बेहद शांत और आनंददायी वातावरण में हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत असम के बारडोई सिपला और बिहू नृत्य से की गई। इसमें महिला और पुरुष कलाकारों के आकर्षक परिधान, पारंपरिक पहनावे और रंगीन साज-सज्जा ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद त्रिपुरा के मैनम्मा देवी की आराधना पर आधारित होजा गिरी और सिंगाई मोग नृत्य, मणिपुर का पुंग ढोल चोलम, मेघालय का वांगला डांस और कशद मस्ती, मिजोरम का चेरवू डांस, नागालैंड का नागा वॉर डांस, अरुणाचल प्रदेश का जूजू झाझा और सिक्किम का सिंगी चाम जैसे नृत्य रूपों ने आज का दिन यादगार बना दिया।
दूसरे सत्र में फैशन शो के माध्यम से आठों राज्यों की महिलाओं और पुरुषों के पारंपरिक परिधान, आभूषण, हथियार, नृत्यभंगिमाएं और चाल-ढाल को संगीत की ताल पर अत्यंत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम का संचालन मोहिता दीक्षित और डॉ. विवेक अलोनी ने किया।